नई दि्ल्ली
कोलकाता में जूनियर डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता और हत्या के मामले ने मेडिकल फील्ड को झकझोंर कर रख दिया है। फोरडा की प्रस्तावित हड़ताल में जहां देशभर के मेडिकल कॉलेज ने समर्थन दिया, वहीं एम्स के फैकल्टी एसोसिएशन ने भी घटना पर विरोध जताया। फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स फाइमा द्वारा ने सोमवार को काला रिबन बांधकर काम किया, इसके साथ ही महिला चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए कई बिंदुओं पर अपनी बात रखी।
एम्स फैकल्टी एसोसिएशन द्वारा जारी पत्र में महिला चिकित्सकों की सुरक्षा को लेकर कई मुद्दे उठाए हैं। फाइमा के अनुसार एम्स और किसी भी अन्य सरकारी अस्पताल में, महिला रेजीडेंट के लिए अलग से ड्यूटी रूम और वॉश रूम का अभाव है और जो भी ड्यूटी रूम हैं, उनमें मरीज और तीमारदार अपनी समस्याओं के लिए भटकते रहते है, अधिकांश ड्यूटी रूम में रेजीडेंट के लिए कोई विशिष्ट डिजिटल लॉकिंग/अनलॉकिंग सिस्टम नहीं है, इसलिए कोई भी एचए या कोई भी सफाईकर्मी बिना अनुमति के किसी भी ड्यूटी रूम में प्रवेश कर सकता है, जिससे गोपनीयता का मज़ाक बनता है। इसलिए, निम्नलिखित कदम प्राथमिकता के आधार पर उठाए जाने चाहिए —
- एम्स में सभी वार्डों, आईसीयू में अलग से वॉशरूम सहित सभी महिला रेजीडेंट के लिए अलग से ड्यूटी रूम की व्यवस्था की जाए, यदि ड्यूटी रूम के लिए जगह उपलब्ध नहीं है तो ओपीडब्ल्यू, एनपीडब्ल्यू, सीएन टावर में 4-5 निजी वार्ड रूम को महिला डीडीआर में परिवर्तित किया जा सकता है। इससे महिला रेजीडेंट के लिए गोपनीयता और सम्मानजनक कार्य स्थान सुनिश्चित होगा।
- अस्पताल के सभी वार्डों, आईसीयू, निजी वार्डों के प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरों के प्रावधान के साथ सुरक्षा बढ़ाई जानी चाहिए।
- सभी अस्पतालों में निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ अलग महिला विंग होनी चाहिए, ताकि काम के माहौल और महिला निवासियों की सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों का ध्यान रखा जा सके।
- क्रेच/चाइल्ड केयर सुविधा – छोटे बच्चों वाली महिला निवासियों के लिए।
- महिला निवासियों के लिए अलग से स्वच्छ शौचालय की सुविधा।
- महिला फैकल्टी और निवासियों के लिए अलग से चेंजिंग रूम (नर्सिंग स्टाफ के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए)
- डॉक्टरों के डीडीआर/स्टाफ एरिया में केवल आई कार्ड स्वाइप करके प्रवेश प्रतिबंधित।
फाइमा का कहना है कि एम्स में इन उपायों को शामिल करके, हम देश के अन्य चिकित्सा संस्थानों के लिए एक मिसाल कायम कर सकते हैं, ताकि महिला डॉक्टरों के लिए सम्मानजनक कार्यस्थल का अधिकार एक चिकित्सा संस्थान/अस्पताल के लिए एक अनिवार्य शर्त बन सके।