पिज्जा से भी कम समय में पहुंचेगी एंबुलेंस

Ambulance will reach in less time than pizza, Zenzo's effort to improve emergency service with traffic department

  • जेन्जो का यातायात विभाग के साथ आपातकालीन सेवा को बेहतर करने का प्रयास
  • दिल्ली एनसीआर में 671 एंबुलेंस के बेड़े को शामिल किया गया

नई दिल्ली

दिल्ली में आपातकालीन सेवाओं को बेहतर करने के लिए यातायात विभाग के साथ निजी कंपनी की एक सराहनीय पहल की गई। इस पहल के तहत पन्द्रह मिनट से भी कम समय में एंबुलेंस पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। जेन्जों के इस एंबुलेंस नेटवर्क को बुधवार केवल दिल्ली में ही नहीं देशभर के 450 शहरों में 25000 से अधिक एंबुलेंस लांच करने की शुरूआत के साथ की गई। जिससे देशभर में आपात कालीन सेवाओं का नेटवर्क बेहतर होगा। बेसिक लाइफ सपोर्ट के साथ ही एंबुलेंस के इस बेड़े में एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस भी लांच की गई, जिसे कार्डियक अरेस्ट जैसी आपात स्वास्थ्य स्थिति में बुलाया जा सकेगा, इस बेड़े में एक 5जी सेवा युक्त एंबुलेंस भी है।

सरकारी मेडिकल एंबुलेंस सेवा 108 की जगह जेन्जों की इस सेवा का लाभ लेने के लिए 18001021298 डायल करना होगा। यह एक टोल फ्री नंबर है जिसे देश के किसी भी राज्य से डायल किया जा सकेगा। जेन्जों ने एक सामाजिक पहल के तहत ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को सीपीआर प्रशिक्षण भी दिया है।

दिल्ली एनसीआर को जेन्जों की इस सेवा को समर्पित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जेन्जों की सह संस्थापक और सीईओ श्वेता मंगल ने कहा कि यातायाता विभाग के साथ साझेदारी के तहत शुरू की गई इस सेवा का मकसद आपात स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना है। जेन्जों की एडवांस और बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस में किलोमीटर के आधार पर 1500 से 2500 तक का शुल्क निर्धारित किया गया है। एंबुलेंस के साथ ही प्राथमिक उपचार सेवा को बेहतर करने के लिए ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को सीपीआर प्रशिक्षण भी दिया गया। 21 व 22 अप्रैल को जेन्जों ने 100 से भी अधिक याता याता पुलिस कर्मियों को सीपीआर का प्रशिक्षण दिया। सेहत365डॉट कॉम की टीम से विशेष बातचीत के दौरान श्वेता मंगल ने बताया कि गांव या दूरदराज के गांवों में ऐसी जगहों पर जहां एंबुलेंस सेवा नहीं पहुंच पाती है वहां हम रैपिडो की तर्ज पर एंबुलेंस बाइक भी लांच करने पर विचार कर रहे हैं, जिससे सही समय पर जरूरतमदों को सहायता उपलब्ध कराई जा सके और इलाज के गोल्डन समय में मरीज को प्राथमिक सहायता दी जा सके।

मालूम हो कि वर्ष 2024 में दिल्ली में कुल 5834 सड़क दुर्घटनाएं हुई थी, जिसकी वजह से 1457 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। अस्पताल में देरी से पहुंचने, दुर्घटना स्थल पर सहायता नही मिलने या फिर देरी के कारण अधिक खून बहने वाली इन मौतों को सही समय पर इलाज देकर बचाया जा सकता था। भारत में हर साल 150000 मार्ग दुर्घनाएं होती है, जिसमें 30 प्रतिशत लोगों की मृत्यु हो जाती है। इसके लिए लोगों के बीच आपातकालीन सेवाएं और जेन्जों के मेकिंग इंडिया इमरजेंसी रेडी कैंपेन चलाने की जरूरत है।

दुर्घटना होने पर रील नहीं बनाएं, जान बचाएं

कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन करने पहुंचे एसीपी अनिल तोमर ने बताया कि आपात स्थिति में लोगों की जान बचाने का प्रयास हर नागरिक का होना चाहिए, उन्होने जेन्जों से अपील की कि एंबुलेस सेवा के साथ ही यातयात जागरूकता के लिए भी अभियान की शुरूआत की जाएं, लोग गलत तरीके से वाहन चलाते हैं और फिर सिफारिश लगाकर ट्रैफिक पुलिस से बहस करते हैं। एसीपी ने कहा कि इधर कुछ सालों से सहायता की जगह लोग रील बनाते हैं जो बहुत गलत है, रील बनाकर सोशल मीडिया पर डालने की जगह लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाने चाहिए।

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