नई दिल्ली: कैंसर के इलाज के कारण मजबूरी में नियमित रूप से स्कूल अटेंड न कर पाने वाले चाइल्डहुड कैंसर सर्वाइवर्स अब केंद्र सरकार के सामने प्रस्ताव पेश कर शिक्षा के मौलिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं। दिल्ली में इस हफ्ते हुई चौथी नेशनल चाइल्डहुड कैंसर सर्वाइवर्स की कॉन्फ्रेंस में इस संबंध में याचिका तैयार की गई और बचपन में कैंसर से जंग जीत चुके सर्वाइवर्स ने इस पर हस्ताक्षर किए। कॉन्फ्रेंस में 119 चाइल्ड हुड कैंसर सर्वाइवर्स शामिल हुए, जिन्होंने अपने अनुभव सब के साथ शेयर किए। यह याचिका नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल को सौंपी गई। यह याचिका “चाइल्ड हुड कैंसर सर्वाइवरशिप- ए डिसएबिलिटी” पर साल भर तक हुई बहस के नतीजे के रूप में तैयार की गई थी।
किड्कैन कनेक्ट की ओर से आयोजित नेशनल सोसाइटी के टीनएज, यंग और एडल्ट कैंसर सर्वाइवर्स ग्रुप की किड्सकैन … कैन किड्स कॉन्फ्रेंस दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पटना और लखनऊ में आयोजित की गई। इसी के साथ सर्वाइवर वर्कशॉप की ओर से तैयार की गई प्रश्नावली में यह सामने आया कि कैंसर से ग्रस्त 85 फीसदी बच्चों की पढ़ाई का एक साल से ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्हें स्कूल में कम हाजिरी के कारण महत्वपूर्ण बोर्ड और कॉलेज एग्जाम में बैठने नहीं दिया गया था। कुछ बच्चों का तो कैंसर की बीमारी के कारण स्कूल जाना और क्लास अटेंड करना तक छूट गया था। कई बच्चों ने इस रोग के कारण अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं की कटऑफ डेट्स मिस कर दी और वह प्रतियोगी परीक्षाओं में नहीं बैठ पाए।
इसके अलावा कैंसर और उसके ट्रीटमेंट, दवाइयों और रेडिएशन थेरेपी से इन बच्चों पर कई हानिकारक प्रभाव हो सकते है, जिससे इन बच्चों की याद करने की, गणित के सवाल हल करने की और आलोचनात्मक ढंग से सोचने की क्षमता कम हो सकती है। सर्वाइवर्स का कहना है कि न तो उन्हें आरक्षण चाहिए और न ही वह चाहते हैं कि उनकी पहचान विकलांग और दिव्यांग व्यक्ति के रूप में बने। इसकी जगह उन्होंने शिक्षा के अधिकार की सुरक्षा की मांग की है। वह चाहते हैं कि घर पर ही ऑनलाइन स्कूलिंग से उनकी पढ़ाई कराई जाए और उनके लिए पश्चिमी देशों की तरह मेडिकल ग्राउंड्स पर व्यक्तिगत शैक्षिक प्रोग्राम चलाए जाएं। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उन्हें हाजिरी और अधिकतम आयु सीमा में छूट मिले और पेपर लिखने के लिए उन्हें कुछ अतिरिक्त समय दिया जाए। वह चाहते हैं कि कैंसर से पीड़ित बच्चों की पहचान उन बच्चों के रूप में की जाए, जिन्हें इलाज के दौरान या सर्वाइवर के तौर पर शिक्षा की विशेष जरूरत है।
पुरस्कार समारोह में नीति आयोग के सदस्य डॉ विनोद कुमार पॉल ने कहा कि बचपन के कैंसर का इलाज प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कवर किया जाएगा और यह योजना गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करेगी। बीपीएल और निचले-मध्यम श्रेणी के परिवारों से इस का फायदा होगा। पॉल ने यह भी कहा कि बाल कैंसर का मूल्यांकन आयुषमान भारत योजना के तहत किया जाएगा और इस संबंध में दर तय की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत 2022 तक भारत भर में 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र खोले जाएंगे।