पूजा सिंह, नई दिल्ली:
ऐसी बीमारी जो जान भले ना ले लेकिन काफी परेशान करता है, पूरी लाइफ को बदल कर रख देता है। शरीर का बाहरी हिस्सा इस तरह से लाल हो जाता है कि खुद इसे साफ तक नहीं कर सकते। लाल पपड़ीदार त्वचा, न केवल आप असहज महसूस कर देता है बल्कि हर संभव उपचार कराने के बाद भी यह ठीक नहीं होता है, जो किसी को भी निराश कर देता है। लेकिन समय के साथ इस बीमारी के इलाज में भी बदलाव आया है और नए तरीके से इलाज कराने पर काफी फायदा भी हो रहा है। इस बीमारी, इसके लक्षण, बचाव और इलाज के बारे में आपको बता रहे हैं गंगाराम अस्पताल के स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर रोहित बत्रा।
सोरायसिस कैसी बीमारी है और इसके लक्षण क्या हैं?
जवाब: सोरायसिस त्वचा पर होने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा पर एक मोटी परत जम जाती है। इसमें त्वचा पर लाल रंग की परत बन जाता है। खासकर हाथ, पैर, उंगली, सिर के पीछे, किसी किसी को पूरे शरीर पर हो जाता है। यह बीमारी 0.25 से 0.50 पर्सेंट तक फैला हुआ है।
सोराइसिस में क्या होता है, बॉडी किस प्रकार रिएक्ट करती है?
जवाब: सोराइसिस के दौरान इंसान का इम्यून सिस्टम उसके ही उतकों के खिलाफ काम करने लगता है जो रसायनों के स्राव को ट्रिगर करते हैं जिसके कारण बॉडी के ऊपर सूजन हो जाती है, त्वचा लाल होने लगती है, खुजली होती है और पपड़ीदार चकते पड़ जाते हैं। ये सब सोराइसिस के लक्षण हैं। इलाज के दौरान सभी दवाईयों इस्तेमाल के बाद भी अगर ठीक नहीं होता है तो बायलोजिक्स ट्रीटमेंट को अपना सकते हैं।
क्या है बायोलोजिक्स ट्रीटमेंट?
जवाब: यह एक प्रोटीन आधारित दवाई है, जिसे प्रयोगशाला में जीवित कोशिकाओं के संवर्धन से तैयार किया जाता है। यह नई दवा उन रोगियों के लिए अक्सर कारगर साबित होती है जिन्हें मध्यम से लेकर गंभीर सोराइसिस की समस्या है।
बायलॉजिस्क कितना कारगर ट्रीटमेंट है?
जवाब: बायलॉजिस्क, सोराइसिस का एक अत्याधुनिक इलाज है, जो अधिकतर मामलों में प्रभावी होता है लेकिन इन दवाईयों के अत्यधिक मंहगा होने से, इनका उपयोग केवल उन्हीं मरीजों तक सीमित है जिन्हें मध्यम से गंभीर सोराइसिस है। यह दवा तब लेना चाहिए जब दूसरे सभी उपचार असफल हो जाते हैं या दूसरे उपचारों के साइड इफेक्ट असहनीय हो जाते हैं।
बायलॉजिक इलाज कैसे संभव होता है?
जवाब: बायलॉजिक दवाईयां में मानव शरीर में स्वाभाविक रूप से पाये जाने वाले रसायनों की नकल करते हैं और शरीर के अंदर जो गलत हो रहा है उसे ठीक करने का प्रयास करते हैं। ये दवाईयां ठीक तरह से काम नहीं कर रहे इम्यून तंत्र की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करती हैं। इम्यून तंत्र की कार्यप्रणाली गड़बड़ाने से सोराइसिस होता है, जिससे त्वचा की कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ जाता है और सूजन आ जाती है। ये दवाईयां टी-सेल की असामान्य गतिविधियों को ब्लॉक कर देती हैं। हालांकि कुछ बायलॉजिक्स इंजेक्शन पैरों, पेट या हाथों में लिए जाते हैं, लगभग उसी प्रकार से जैसे डायबिटीज से पीड़ित लोग इंसुलिन का इंजेक्शन लेते हैं। जबकि कुछ को ये इंजेक्शंस नसों में लगाए जाते हैं। ये सभी जैविक दवाईयां कुछ निश्चित अंतराल पर ही दी जाती हैं। ये इंजेक्शन कितने अंतराल पर दिये जाएंगे ये व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है और इसके सेशन 2-6 महीने तक चल सकते हैं, यह रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है। बायलॉजिक मेडिसीन अक्सर सोराइसिस में बहुत प्रभावी होती हैं। हालांकि यह बहुत जरूरी है कि त्वचा रोग विशेषज्ञ से इसके लाभों के साथ ही इसके नुकसानों के बारे में भी चर्चा की जाए।
जब इलाज से ठीक नहीं हो तो?
जवाब: अगर गंभीर सोराइसिस है जो पारंपरिक उपचार से ठीक नहीं हो रहा है, या आपको सोराइसिस के साथ सोराइसिस अर्थराटिस भी है, तो अपने त्वचा रोग विशेषज्ञ से चर्चा करें कि क्या बायलॉजिकल उपचार आपके लिए उचित है। निर्णय लेने से पहले इसके फायदे और नुकसान जानना बहुत जरूरी हैः
मेडिकेशन इंटरेक्शनः
बायलॉजिक्स को सोराइसिस के दूसरे उपचारों के साथ भी लिया जा सकता है जैसे टॉपिकल मेडिकेशन, फोटोथेरेपी, पेन कीलर्स और विटामिनों के सप्लीमेंट्स के साथ। हालांकि यह बहुत जरूरी है कि विभिन्न थेरेपियों को मिलाने से पहले डॉक्टर से राय जरूर ले लें क्योंकि यह उन दवाईयों से क्रिया कर सकता है जो आप सोराइसिस के अलावा दूसरी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए ले रहे हैं।
डोज और इफेक्टिवनेसः
बायलॉजिक्स का उपचार कम बार लेना होता है और एक बार जब इसका इंजेक्शन शरीर के किसी भाग में लगा लिया या नसों के द्वारा रक्त में प्रवेश करा दिया, ये सोराइसिस के दूसरे उपचारों की तुलना में अधिक तेजी से कार्य करता है। इस उपचार का एक लाभ यह भी है कि सोराइसिस के दूसरे उपचारों की तुलना में इसमें ब्लड टेस्ट की जरूरत कम पड़ती है।
संक्रमणः
अगर आपका इम्यून तंत्र ठीक प्रकार से काम नहीं कर रहा या आपको सक्रिय संक्रमण है, तब आपके लिए बायलॉजिक्स लेना ठीक नहीं है। कुछ मामलों में बायलॉजिक्स संक्रमण का खतरा बढ़ा देता है। विशेष रूप से जिन लोगों को टीबी है उन्हें बायलॉजिक्स लेने से पहले स्क्रिनिंग कराना चाहिए।
साइड इफेक्ट्स:
बायलॉजिक उपचार में कुछ संभावित साइट इफेक्ट्स होने का खतरा होता है। लेकिन यह सामान्य बात है। इसके साथ ही, जो महिलाएं बायलॉजिकल ड्रग्स ले रही हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि वो अपने डॉक्टर से चर्चा करने के पश्चात ही गर्भधारण करने के बारे में सोचें।