नई दिल्ली: राजधानी का मौसम हर घंटे करवट बदल रहा है, जिसका असर सेहत पर दिख रहा है। मुश्किल यह है कि इस मौसम में डेंगू मलेरिया की जगह इस बात जुखाम खांसी और गले के वायरस पैंठ जमा रखी है। कई वायरल बुखार में तो डेंगू और मलेरिया के एक साथ लक्षण दिख रहे हैं। जिसकी बाद में साधारण वायरल बुखार की पुष्टि हो रही है।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के जनरल फिजिशियन डॉ. राजेश तनेजा ने बताया कि बीते एक सप्ताह में ओपीडी में साधारण फ्लू और ईएनटी की समस्या लेकर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या चार गुना बढ़ गई है। सबसे अहम यह है कि इस बारिश के बाद बढ़ी आद्रता में वायरल बुखार का भी खतरा बढ़ा है, जिसमें मरीज के प्लेटलेट्स में तेजी से गिरावट आती है। हालांकि एक से दो घंटे के बीच अपने आप प्लेटलेट्स सामान्य भी हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि मरीज को प्लेटलेट्स की जगह तरल चीजें दी जाएं। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. जेएम हंस ने बताया कि इस समय स्ट्रेपटोकॉकल वायरस का असर अधिक देखा जा रहा है। जिसमें गले में शुरूआत में खरास होती हैं बाद में यह जुखाम और खांसी में बदल जाता है। इस खांसी में वायरस के अलावा बैक्टीरिया का भी हमला देखा जाता है, यही कारण है कि मरीजों को खांसी के सीरप की जगह एंटीबायोटिक दवाओं से आराम मिलता है। डॉ. हंस कहते हैं कि यही कारण है कि कई बार खांसी में भी खून की एलर्जिक की जाती है। गुरुतेग बहादुर अस्पताल के जनरल फिजिशियन डॉ. कुलदीप कहते हैं कि मौसम बदलने के कारण फ्लू का असर भी बढ़ा है, इससे बचाव के लिए जरूरी है कि घर से बाहर निकलने वाले व्यक्ति फ्लू से बचाव के लिए वैक्सी ग्रिप वैक्सीन लगवा लें।
जानें सेहत का बदलाव
-थकान के साथ तेजी से बदल टूटना
-भूख न लगना और कुछ अच्छा न लगना
-गले में खरास और सिर में तेज दर्द
-रक्तचाप कम होना या फिर चक्कर आना
-रूक-रूक कर बुखार का आना
केवल दवाई नहीं जांच है जरूरी
साधारण बुखार का इलाज 90 प्रतिशत लोग साधारण दवाएं लेकर खुद ही करने की कोशिश करते हैं। आईएमए के डॉ. नरेन्द्र सैनी कहते हैं वायरल बुखार में खुद दवा न लें, इसमें खून की आईजीजी और आईजीएम जांच जरूरी है, जो बैक्टीरियल संक्रमण का पता लगती है। जांच के बाद ही वायरल बुखार के इलाज की सही दिशा तय की जाती है। हालांकि वायरल पॉजिटिव होने पर कल्चर जांच भी जरूरी है।
कुछ एहतियात बरतें
बारिश के बाद बढ़ी आद्रता के कारण पेट की गड़बड़ी और वायरल बुखार का असर खाने में गड़बड़ी के कारण देखा जाता है। दूषित पानी तो कारक है ही इसके साथ ही खाने में अधिक तेल युक्त चीजें भी बीमारी को दावत देती हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. राजेश मिश्रा कहते हैं कि इस समय ठंडे शत की चीजें जैसी तरबजू, नारियल और खरबूजे का सेवन न करें। इसके साथ ही अधिक स्टार्च युक्त सब्जियां जैसे भिंडी और अरबी का सेवन पित्त संबंधी परेशानी बढ़ा सकता है। आयुर्वेद बारिश में दही के इस्तेमाल की भी सलाह नहीं देता।