क्या सर्दियों में आपको भी होता है जोड़ो में दर्द?

Orthopedic specialists believe that arthritis and osteoporosis patients should be alert before the winter season arrives.

नई दिल्ली,
मौसम में ठंड ने दस्तक दे दी है, दिन की धुंधली धूप भी सर्दी का एहसास कराती है। ठंड का मौसम वैसे तो खाने पीने और मौज मस्ती का माना जाता है, लेकिन जोड़ों के दर्द के शिकार लोगों के लिए सर्दी दर्द की पोटली साथ लेकर आती है। हड्डी रोग विशेषज्ञ मानते हैं कि आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों को सर्दी आने से पहले ही सतर्क हो जाना चाहिए,  इसके लिए दवाओं के साथ व्यायाम और खाने में कैल्शियम और आयरन अधिक लेने से फायदा होगा।
रॉकलैंड अस्पताल के आर्थोपेडिक्स डॉ. सत्यनारायन कहते हैं महिलाओं में मीनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है। जिसकी प्रमुख वजह कैल्शियम का लगातार कम होना है। हड्डियों के जोड़ कमजोर होने से हल्का से झटके साथ हड्डी टूट जाती है।

क्या हो सकते हैं बचाव
-कोई भी महिला यदि कार्टियोकास्टिेरॉयड (कॉस्मेटिक स्टेरॉयड) इस्तेमाल कर रही है तो उसे 1500 मिलीग्राम कैल्शियम और 800 यूनिट विटामिन डी का नियमित सेवन करना जरूरी है।
-मीनोपॉज के बाद महिलाएं स्टेरॉयड की जगह अन्य सुरक्षित हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ले सकती हैं, इसके साथ ही हर तीसरे महीने में बोन डेंसिटी की जांच अवश्य कराएं, जबकि 35 साल की उम्र के बाद ही कैल्शियम और विटामिन डी का प्रयोग बढ़ा दे।

क्या है इलाज
बैलून केफोप्लास्टी-इसे बीकेपी भी कहा जाता है, जिसमें मरीज को दर्द से निजात दिलाने के साथ ही क्षतिग्रस्त वैटिब्रा के बीच में बैलून स्थापित कर हड्डियों की खाली जगह को भरा जाता है। बीकेपी का उद्देश्य फै्रक्चर को स्थिर रखना और केफोटिक जोड़ की विकृति में सुधार करना होता है।
वर्टिब्रोप्लास्टी- स्पाइनल ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में वर्टिब्रोप्लास्टी का इस्तेमाल किया जाता है, इसमें जोड़ों के बीच में बोन सीमेंट को इंजेक्शन के जरिए पहुंचाया जाता है। हालांकि उपयुक्त दोनों फ्रैक्चर के इलाज है, जबकि फ्रैक्चर रोकने के लिए बीमारी से बचाव ही प्रमुख है।

जरूरी है डेक्सा जांच
साधारण एक्सरे या फिर बोन डेंसिटी से ऑस्टियोपोरोसिस का पता नहीं लग पता है, इसलिए जरूरी है कि हड्डियां कमजोर होने की आशंका के बाद ही डेक्सा जांच कराई जाएं, इसे डेक्सा स्कैन भी कहा जाता है। समय पर बोनडेंसिटी कम होने का पता लगने पर फ्रैक्चर से बच सकते हैं।

आर्थराइटिस- आर्थोपेडिसियन डॉ. एसके यादव कहते हैं कि रिह्यूमेटायड आर्थराइटिस और साधारण आर्थराइटिस दोनों का दर्द सर्दियों में बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए सर्दियों से पहले दिनचर्या में कुछ बदलाव करना चाहिए। मुश्किल यह है कि सर्दी में लोग वसा का सेवन तो अधिक करते हैं, लेकिन कैल्शियम और विटामिन डी को भूल जाते हैं, साथ 60 प्रतिशत लोग सर्दियों में व्यायाम नहीं करते।

ऐसे करें बचाव
-नियमित दो घंटे धूप में जरूर समय बिताएं
-खाने में हरी सब्जियां और आयरन शामिल करें
-नियमित रूप से आधे घंटे साइकिलिंग जरूरी है
-मछली सर्दियों में विटामिन डी का बेहतर स्त्रोत हो सकती है
-यदि अधिक दर्द से हैं परेशान तो नी कैप अवश्य बांधे
-व्यायाम के साथ दर्द के लिए फिजियोथेरेपी थी अपना सकते हैं

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