लखनऊ
कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में चिकित्सा अधीक्षक के पद पर कार्यरत रहे डॉ. देवाशीष शुक्ला को अपने वेतन के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कोर्ट के आदेश के बाद उनका फरवरी माह का रोका गया वेतन मिल सका।
डॉ. देवाशीष शुक्ला, प्रतिनियुक्ति पर कैंसर संस्थान में सेवा दे रहे थे। बीती 28 फरवरी को उन्हें उनके मूल विभाग बलरामपुर अस्पताल वापस भेज दिया गया था लेकिन उनका फरवरी का वेतन रोक लिया गया। डॉ. शुक्ला ने अपने बकाया वेतन के लिए संस्थान के अधिकारियों से कई बार संपर्क किया और नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ (No Dues Certificate) भी जमा करा दिया। बावजूद इसके वेतन को रोकने के लिए लगातार आपत्तियां उठाई जा रही थीं। डॉ. शुक्ला का कहना है कि उन्होंने कई बार संबंधित अधिकारियों से अपना वेतन देने के लिए बात की लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई।
वित्त अधिकारी ने 21 अप्रैल को एक पत्र लिखकर कुछ और समायोजन संबंधी विवरण मांगे, जिसे डॉ. शुक्ला ने उपलब्ध भी करा दिया था। इसके बावजूद, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने 10 मई को फिर से नया पत्र जारी कर दिया।
संस्थान की ओर से लगातार पत्राचार किए जाने से तंग आकर डॉ. देवाशीष शुक्ला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने 27 मई को संस्थान को देवाशीष का रुका हुआ वेतन देने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई से ठीक पहले देवाशीष शुक्ला को फरवरी का उनका पूरा वेतन (1,37,187.00) भुगतान कर दिया गया है। डॉ. शुक्ला का वेतन जारी होने के बाद, कोर्ट ने इस मामले में संस्थान के रवैये पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने भविष्य के लिए संस्थान के संबंधित अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि वे कानून के अनुसार कार्य करें और किसी भी कर्मचारी को बिना किसी ठोस कारण के परेशान न करें।