नवजात को थैलसीमिया से बचा सकती है जन्म पूर्व काउंसलिंग

Fortis Gurugram Organises ‘Red Run to End Thalassemia’; Supported by Actor Jackie Shroff

 

  • 2035 तक थैलसीमिया को खत्म करने का लक्ष्य
  • फोर्टिस गुरुग्राम ने किया ‘रेड रन टू एंड थैलसीमिया का आयोजन; एक्टर जैकी श्रॉफ ने दिया समर्थन
  • 2035 तक थैलसीमिया के उन्मूलन के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन – ‘मिशन 2035’ लॉन्च ~

गुरुग्राम,

थैलेसीमिया रक्त संबंधी ऐसा विकार है जिससे सही समय पर जानकारी से बचा जा सकता है। गर्भधारण के समय सही काउंसलिग जन्म पूर्व ही नवजात को इस रक्त विकार से बचने में मदद कर सकती है। जागरूकता की कमी के कारण हर साल देश में दस से पन्द्रह हजार नजजात इस विकार के साथ पैदा होते हैं। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों में खून की कमी होती है, खून में ऑक्सीजन का प्रवाह करने वाली लाल रक्त कणिकाओं की कमी के कारण बच्चे को थकान व सुस्ती बनी रहती है। हालांकि माइल्ड या हल्के थैलेसीमिया में इलाज की जरूरत नहीं होती है।

फोर्टिस हेल्थकेयर ने 2035 तक थैलसीमिया के उन्मूलन के उद्देश्य से देशव्यापी आंदोलन ‘मिशन 2035’ लॉन्च करने की घोषणा की है। इस महत्वाकांक्षी पहल को ध्यान में रखकर फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने रेड रन टू एंड थैलसीमिया का आयोजन किया। आम जनता को जागरूक बनाने के मकसद से आयोजित इस दौड़ में 2,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया और लगभग 5 किलोमीटर का फासला तय किया।

इस अवसर पर, थैलसीमिया जागरूकता के ब्रैंड एंबैसडर बॉलीवुड एक्टर जैकी श्रॉफ भी उपस्थित थे। थैलसीमिया ऐसा आनुवांशिक रक्त विकार (जेनेटिक ब्लड डिसऑर्र) है जिससे बचाव संभव है, लेकिन इसके बावजूद भारत में ही हर साल लगभग 10,000 से 15,000 बच्चे थैलसीमिया के साथ जन्म लेते हैं। मिशन 2035 का उद्देश्य इस बारे में जागरूकता, प्रारंभिक स्क्रीनिंग तथा जेनेटिक काउंसलिंग को बढ़ावा देने के साथ-साथ, उपचार तक पहुंच में सुधार लाना, तथा नए मामलों की रोकथाम के लिए नीतिगत सुधारों की वकालत कर इस स्थिति में बदलाव लाना है। श्री जैकी श्रॉफ ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “थैलसीमिया का उन्मूलन करना केवल मेडिकल लक्ष्य ही नहीं है – बल्कि नैतिक दायित्व भी है। भारत में हर साल थैलसीमिया मेजर के नए मामले सामने आते हैं। यह एक ऐसा मौन संकट है जो लगातार अनगिनत परिवारों को, खासतौर से कम सुविधा-प्राप्त क्षेत्रों में, प्रभावित करता आ रहा है। आरंभिक स्तर पर स्क्रीनिंग और जागरूकता से अनेक बच्चों को आजीवन परेशानी से बचाया जा सकता है। मैं इस मिशन 2035 पहल के लिए फोर्टिस हेल्थकेयर का पूरा समर्थन करता हूं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए अधिक सेहतमंद भविष्य का निर्माण करने में मददगार साबित होगा।

डॉ विकास दुआ प्रिंसीपल डायरेक्टर एंड हेड – पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी, हेमेटो ओंकोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट, फोर्टिस गुरुग्राम ने कहा, “थैलसीमिया ऐसा आजीवन बोझ है जो न सिर्फ बच्चे को बल्कि पूरे परिवार को भी शारीरिक, भावनात्मक और वित्तीय स्तर पर काफी प्रभावित करता है। लेकिन, इससे पूरी तरह से बचाव किया सकता है जिसके लिए समय पर स्क्रीनिंग तथा जेनेटिक काउंसलिंग की जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान, सही जानकारी और सही फैसला लेने से पूरे जीवनभर की परेशानी से बचा जा सकता है। पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजिस्ट के रूप में, मैंने यह देखा है कि किस प्रकार प्रारंभिक जांच से जीवन बचाया जा सकता है।

डॉ आशुतोष रघुवंशी, एमडी एवं सीईओ, फोर्टिस हेल्थकेयर ने कहा, “मिशन 2035 प्रीवेंटिव हेल्थकेयर और थैलसीमिया मुक्त भारत की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता है। इस सिलसिले में, रेड रन का आयोजन केवल सांकेतिक नहीं है, बल्कि हमारी संयुक्त इच्छा शक्ति की ताकतवर अभिव्यक्ति भी है। थैलसीमिया से बचाव संभव है, और हमें इसके प्रसार को रोकने के लिए शुरुआती स्क्रीनिंग, जेनेटिक काउंसलिंग तथा आम जनता को शिक्षित करना जरूरी है।

 

फोर्टिस में, हमारा मानना है कि हेल्थकेयर का संबंध बचाव से भी उतना ही है जितना की देखभाल से होता है। आइये, आज के दिन को हम हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स, नीति-निर्माताओं तथा समुदायों संयुक्त प्रयास की शुरुआत के रूप में देखें, और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा थैलसीमिया के साथ जन्म न लें। हम मिलकर, अधिक सेहतमंद और मजबूत भारत का निर्माण कर सकते हैं।”

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, के फेसिलिटी निदेशक श्री यश रावत ने कहा, “रेड रन फॉर थैलसीमिया इस रक्त विकार के बारे में जागरूकता बढ़ाने, शुरुआती स्क्रीनिंग को बढ़ावा देने तथा इससे बचाव के लिए जरूरी कार्रवाई करने को प्रोत्साहित करने की दिशा में शक्तिशाली पहल है। हम ऐसे भविष्य का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिसमें थैलसीमिया किसी पर बोझ नहीं बने।

मिशन 2035 के अंतर्गत फोर्टिस हेल्थकेयर की प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार हैंः

  • थैलसीमिया को अधिसूचित रोग घोषित करें और केंद्रीय डैशबोर्ड लॉन्च करेंः मामलों की रियल-टाइम ट्रैकिंग और क्षेत्रीय आधार पर हस्तक्षेप।
  • अधिक प्रसार वाले इलाकों में लक्षित ज्ञान कार्यान्वयनः देशव्यापी स्तर पर कार्यान्वयन से पहले, हेल्थकेयर कर्मियों को प्रशिक्षण देने, जागरूकता बढ़ाने, तथा जेनेटिक काउंसलिंग तक पहुंच में विस्कार के लिए हॉटस्पॉट्स से करें शुरुआत
  • राष्ट्रीय कैम्पेन – ‘थैलसीमिया पीड़ित कोई नया जन्म नहीं’: व्यापक कैरियर स्क्रीनिंग, विवाह-पूर्व तथा प्रसव पूर्व जांच, तथा थैलसीमिया स्क्रीनिंग को अनिवार्य रूप से प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) कार्यक्रम में शामिल करना।
  • एचपीएलसी टेस्टिंग तक पहुंच में विस्तारः आरंभिक और सटीक डायग्नॉसिस के लिए हाइ परफॉरमेंस लिक्विड क्रोमेटोग्राफी (एचपीएलसी) मशीनों की उपलब्धता बढ़ाना।
  • रोकथाम पर ज़ोर देने के साथ-साथ मौजूदा मरीजों के लिए देखभाल तंत्र को मजबूत बनानाः हेमेटोपोएटिक स्टेल सेल ट्रांसप्लांटेशन (एचएससीटी) तक पहुंच में सुधार और उदीयमान जीन थेरेपी को अपनाने पर जोर देना।

 

 

 

 

 

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