वह सात किलो का Tumor पेट में लेकर घूम रहा था

Giant Tumor operated at Sir Gangaram Hospital

नई दिल्ली

58 वर्षीय वृद्ध पेट के बायीं तरफ तेज दर्द और भारीपन की शिकायत लेकर डॉक्टरों के पास पहुंचा, इस दर्द की तरफ उसका ध्यान दो महीने पहले ही गया था। फिजिशयन से मिलने पर व्यक्ति को सीईसीटी कराने की सलाह दी गई। जांच के परिणाम चौंकाने वाले थे, उसे जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि वह अपने पेट में एक फीट चौड़ा और सात किलो 500 ग्राम वजन का ट्यूमर लेकर घूम रहा था, जोकि एक फुटबॉल के साइज से भी बड़ा था। हालांकि शारीरिक रूप से व्यक्ति बिल्कुल स्वस्थ था और उसे दर्द की शिकायत भी नहीं थी। अमूमन ऐसे मामलों में अकसर मरीज की भूख कम हो जाती है, वजन कम या ज्यादा होना आदि प्रमुख लक्षण होते हैं।

सरगंगाराम अस्पताल पहुंचने पर मरीज के अन्य सभी परीक्षण किए गए। जांच में पता चला कि व्यक्ति के बाएं तरफ पेट में एक बड़ा मांस का लोथड़ा, साफ्ट टिश्यू युक्त किसानी, लिवर और पैंक्रियाज के बीच एक बड़े हिस्से को घेरे हुए था। ट्यूमर की वजह से बड़ी आंत पर भी लगातार दवाब बन रहा था। अमाश्य सहित पेट के बड़े हिस्से पर ट्यूमर का कब्जा था, जिसकी वजह से किडनी पर लगातार दवाब पड़ रहा था।

पेट में स्थित यह विशाल आकृति वेना कावा के बहुत करीब थी, जो कि शरीर के निचले आधे हिस्से और पेट से ऑक्सीजन रहित रक्त को हृदय तक लौटाती है। इसे मेडिकल भाषा में रेट्रोपेरिटोनियर लिपोसारकोमा कहा जाता है।

ऑपरेशन कर ट्यूमर को निकाला

इस तरह की गंभीर स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि अन्य जीवनदायक अंगों को नुकसान पहुंचाए बिना ट्यूमर को बाहर निकालना, अंदरूनी वेना केवा नस को थोड़ी भी क्षति पहुंचने से किडनी के दाहिनी हिस्से पर प्रभाव पड़ सकता था। सरगंगा राम अस्पताल के सीनियर सर्जन, लैप्रोस्कोपिक और वाइस चेयरमैन डॉ़ मनीष के गुप्ता टीम ने सर्जरी का फैसला लिया, खतरे को देखते हुए वास्कुलर सर्जिकल टीम को भी तैयार रखा गया, जिसमें डॉ अजय यादव और डॉ ध्रुव अग्रवाल को शामिल किया गया। आठ घंटे तक चली सर्जरी में ट्यूमर को सफलता पूर्वक निकाल दिया गया। हालांकि यह प्रक्रिया काफी जटिल थी, ट्यूमर फट भी सकता था, जिससे रक्त स्त्राव का भी खतरा था, लेकिन जीवन दायक अंग जैसे किडनी, लिवर, पैंक्रियाज और अमाश्य को नुकसान पहुंचाए बिना डॉक्टर्स की टीम ने सफलता पूर्वक ट्यूमर को बाहर निकाल दिया। इसमें वास्कुलर सर्जरी की टीम ने भी अहम भूमिका निभाई, इसमें अंदरूनी वेना कावा नस से ट्यूमर को सावधानी से अलग किया गया, जो कि नस से चिपका हुआ था, ट्यूमर के इस खतरे को कम कर बाकी का काम सर्जन की टीम ने किया।

सर्जरी के बाद निकाले गए ट्यूमर की साइज 7.5 ग्राम था, जिसे आगे बायोस्पी के लिए भेज दिया गया है। कोई भी ऐसा ट्यूमर जिसका साइज 30 सेमी से अधिक होता है उसे विशाल या गायंट ट्यूमर कहा जाता है, जोकि काफी दुर्लभ होता है। सर्जरी के बाद मरीज को पोस्ट आईसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। तीन दिन बाद मरीज को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। सर्जरी के सात दिन बाद मरीज को सरगंगाराम अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *