मानव शरीर अपनी प्राकृतिक या सहज प्रतिरक्षा से कई तरह के संक्रमण को दूर रख सकता है, इसके अतिरिक्त संक्रमण के संपर्क में आने के बाद उसके प्रति शरीर में प्रतिरक्षा भी विकसित हो जाती है। कुछ तरह के विषाणु में व्यक्ति को गभीर रूप से बीमार, अपंग या फिर मौत के कारण होने की क्षमता होती है। वैक्सीन या टीका ऐसे संक्रमण के खिलाफ शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा विकसित करने में सहायता करते हैं।
बीते दो साल से एसआरसीओवीटीटू लाखों लोगों की मृत्यु का कारक बना। भारत ने कोविड की गंभीर और घातक दूसरी लहर को देखा, जिसकी वजह से देशभर में लाखों लोगों की जान चली गई।
दूसरी लहर के बाद, भारत में अब एक बड़ी आबादी उस श्रेणी में आती है जिनमें हाईब्रिड इम्यूनिटी या हाईब्रिड प्रतिरक्षा विकसित हो गई, हाईब्रिड इम्यूनिटी से मेरा आश्य ऐसे लोगों से है जिनको कोविड वैक्सीन की दोनों डोज भी लग चुकी है और उन्हें संक्रमण भी हो चुका है। अध्ययन कहते हैं कि इस तरह की प्रतिरक्षा कोविड संक्रमण के प्रति अधिक मजबूत सुरक्षा प्रदान करती है। यह भी देखा गया है कि जिन लोगों कोविड संक्रमण हो चुका है और उसके बाद जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की एक डोज भी ली है, उनमें भी संक्रमण के खिलाफ एक बेहतर स्तर की इम्यूनिटी या प्रतिरक्षा देखी गई।
हाल ही में जारी किए गए राष्ट्रीय सीरो सर्वे के अनुसार बच्चों सहित भारत की अस्सी प्रतिशत आबादी में कोविड संक्रमण के प्रति एंटीबॉडी पाई गई। टीकाकरण के आंकड़े बताते हैं कि 85 प्रतिशत व्यस्क आबादी से अधिक लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है देश की पचास प्रतिशत से अधिक व्यस्क आबादी को कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। कहा जा सकता है कि पचास प्रतिशत से अधिक आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है।
हमारी आबादी में मौजूद हाईब्रिड इम्यूनिटी वायरस की वजह से होने वाले गंभीर खतरे जैसे कि नये म्यूटेंट ओमिक्रॉन से भी बचा सकती है। ओमिक्रॉन वेरिएंट जिसे पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पहचाना गया, आज 40 से अधिक देशों में फैल चुका है। वेरिएंट में अब तक 30 से अधिक म्यूटेशन देखे जा चुके हैं और इसे पूर्व में पाए गए डेल्टा वेरिएंटे से अधिक संक्रामक माना जा रहा है, जिसने दूसरी लहर में भारत सहित अन्य देशों में गंभीर प्रभाव डाला था। ओमिक्रॉन विश्व भर में एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है, बहुत से देश संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए कई तरह उपाय अपना रहे हैं तथा सख्त पाबंदियां लगा दी गईं हैं।
भारत को भी सचेत रहने की जरूरत है, प्रारंभिक प्रमाण इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि वायरस अधिक संक्रामक है, बावाजूद इसके संक्रमण की वजह से लोग गंभीर रूप से बीमार या फिर उनकी मौत नहीं हो रही है। संक्रमण के अब तक के जो लक्षण देखे गए हैं वह सर्दी जुखाम के साथ हल्के बुखार के रूप में देखे गए हैं। बावजूद इसके हमें अपने सुरक्षा मानकों को कम नहीं होने देना है। बहुत से देश खुद को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए नये तरीके अपना रहे हैं। उदाहरण के लिए जर्मनी के किसी भी रेस्ट्रां में पूरे टीकाकरण बिना प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। विश्व भर मे अब लोगों को यह बात समझ आ रही है कि कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना कितना जरूरी है, लोग अब अपने व्यक्तिगत जीवन में मास्क का प्रयोग, सामाजिक दूरी, भीड़भाड़ में न जाना, नियमित रूप से हाथ धोना सैनेटाइजर का प्रयोग करना आदि का पालन कर रहे हैं।
वायरस संक्रमण को लेकर हमारे पूर्व के अनुभव यह रहे हैं कि वायरस प्राकृतिम रूप से अपनी मौत मरते हैं, लेकिन ऐसा होने से पहले हमें खुद को बचा कर रखना है सुरक्षा उपायो के प्रति लापरवाही नहीं बरतनी है। मुझे ऐसा लगता है कि यदि हम सही तरीके से वायरस के प्रति अपनी इस जंग को लड़े तो हम निश्चित रूप से विजयी हो सकते हैं। इसलिए जब सरकार सभी को निशुल्क वैक्सन देकर अपना कर्तव्य निभा रही है, संक्रमण के मामलों में अचानक होने वाली वृद्धि के लिए स्वास्थ्य संसाधनों को बेहतर कर रही है तथा संभावित संक्रमित लोगों को सघन तरीके से स्क्रीनिंग की जा रही है, हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लें और नियमित रूप से कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करते रहें, जिससे संक्रमण की तेजी से होने वाली वृद्धि को रोका जा सके।