17 मई- वल्र्ड हाइपरटेंशन डे पर विशेष
नई दिल्ली,
हाइपरटेंशन या फिर हाई ब्लड प्रेशर से आज हर कोई वाकिफ है, शहर की भागमभाग की जिंदगी हो या फिर गांव का रहनसहन, हाइपरटेंशन ने हर जगह अपनी पैंठ जमा ली है। छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन और तनाव के रूप में जीवन में शामिल हाइपरटेंशन कम समय में ही दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, फिर शुरू होता दवाओं का सिलसिला, एक साथ दूसरी के साथ तीसरे दवाओं के साथ ही बीमारियों का साथ भी बढ़ता जाता है। जिसमें, हार्ट, किडनी, डायबिटिज आदि शामिल हैं।
आंकड़ों के अनुसार भारत में 220 मिलिशन लोग हाइपरटेंशन(Hypertension)के शिकार हैं, केवल 12 प्रतिशत लोग अपने बीपी को कंट्रोल रख पाते हैं, भारत में सभी उम्र के 29.8 प्रतिशत लोग हाइपरटेंशन के शिकार हैं। हाईब्लड प्रेशर की वजह से होने वाली अन्य बीमारियों के कारण हर साल बड़ी संख्या में व्यस्क मौत के शिकार हो जाते हैं। 17 मई को हर साल साल विश्व हाइपरटेंशन दिवस के रूप में मनाया जाता है, नियमित रूप से ब्लडप्रेशर पर नजर रख कर हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है। मेदांता मेडसिटी के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ तरूण कुमार (Dr (Prof) Tarun Kumar, Associate Director, Medanta Medicity) कहते हैं कि प्रत्येक चार में एक व्यक्ति हाइपरटेंशन का मरीज है, इस साल वल्र्ड हाइपरटेंशन डे पर सही समय पर जांच, दिनचर्या और खानपान में बदलाव को शामिल करने की पैरवी की गई है। जिससें हाई बीपी की वजह से होने वाली अन्य बीमारियों से समय रहते बचा जा सकता है। वहीं दूसरी ओर अब आर्युवेद में हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने की दवाएं आ गई हैं। हर्बल उत्पाद की जानी मानी कंपनी अमैक्स कंज्यूमर हेल्थ केयर के अमरजीत सिंह कहते हैं कि बीपी की हमारे पास अचूक दवा हैं, जिसका नियमित इस्तेमाल दवाओं की डोज का कम कर देता है, इसे नाभि के माध्यम से प्रयोग करना होता है। कंपनी के उत्पाद फाइटोजेनिक फार्मुले के आधार पर तैयार किए जाते हैं, जिसके प्रयोग से किसी तरह का साइड इफैक्ट नहीं होता।
क्या हैं खतरे के कारक
हाइपरटेंशन की वजहों में बहुत सी चीजों को शामिल किया गया है, लेकिन कुछ सामान्य चीजों को यदि पता लगा लिया जाएं तो हाइपरटेंशन को शुरूआती स्थिति में ही नियंत्रित किया जा सकता है। धूम्रपान, अधिक नमक का सेवन, शारीरिक व्यायाम की कमी, अधिक वजन, संरक्षित या डिब्बा बंद खाना आदि प्रमुख हाइपरटेंशन की प्रमुख वजहों में शामिल है।
क्या है सामान्य बीपी
बीपी श्रेणी सिस्टोलिक बीपी डायस्टोलिक बीपी
सामान्य 120 से कम 80 से कम
एलिवेटेड 120 से 129 80 से कम
हाई ब्लड प्रेशर 130 से 139 80 से 89
हाई ब्लड प्रेशर टू स्टेज 140 से ज्यादा 90 से ज्यादा
हाइपरटेंशन 189 से अधिक 120 से ज्यादा
भारत हाईपरटेंशन की कैपिटल बनने की ओर
- हर साल में एक भारतीय हाइपरटेंशर का शिकार
- भारत 57 प्रतिशत स्ट्रोक और 24 प्रतिशत क्रानिक हार्ट डिसीस की वजह हाइपरटेंशन को ही माना गया है
- बहुत कम लोगों के हापरटेंशन की पहचान सही समय पर होती है
- जांच के बाद भी केवल ½ मरीजों का ही सही समय पर इलाज होता है
- इसीलिए केवल 12.5 प्रतिशत लोगों का बीपी नियंत्रित रहता है।
क्या हैं भ्रम
- हाइपरटेंशन केवल बुजुर्गो की समस्या है, जबकि यह किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकती है।
- बीपी सामान्य होने पर दवाएं बंद की जा सकती है, ऐसा नहीं है हाइपरटेंशन नियंत्रित किया जा सकता है इसका इलाज नहीं है।
- रोजाना बीपी की दवाएं खाने से दवाओं के साइडइफैकट्स होते हैं, जबकि दवा नहीं खाने से अन्य आर्गन्स को हाईबीपी प्रभावित करता है।
- जांच के बाद तुरंत दवाएं शुरू नहीं करनी चाहिए, शुरूआत में दिनचर्या को नियमित करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए।