पीजीआई में उन्नत तकनीक से दिल की डोर फिर बंधी”

  • पीजीआई में उन्नत नई तकनीक से 70 वर्षीय बुजुर्ग को नई ज़िंदगी मिली

सांसें साथ छोड़ रही थीं और हर कदम पर थकान घेर लेती थी… लेकिन डॉक्टरों ने मुझे एक और मौका दिया, जीने का।” – यह शब्द हैं उस 70 वर्षीय बुजुर्ग मरीज के, जिनकी ज़िंदगी संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टरों की मेहनत और नई चिकित्सा तकनीक मिट्रा क्लिप की बदौलत फिर मुस्कुरा उठी।

इस बुजुर्ग मरीज को दिल की गंभीर बीमारी थी – माइट्रल रिगर्जिटेशन, जिसमें हृदय का माइट्रल वाल्व ठीक से बंद नहीं होता, जिससे खून का बहाव उल्टा होने लगता है। इसके साथ ही उन्हें किडनी की बीमारी और पहले स्ट्रोक की भी शिकायत थी। ऐसे में खुली सर्जरी करना बहुत जोखिम भरा था। हर पल उनके जीवन पर संकट मंडरा रहा था।

कार्डियोलॉजी टीम — प्रो. रूपाली खन्ना, प्रो. सत्येन्द्र तिवारी, प्रो. आदित्य कपूर, प्रो अंकित साहू और डॉ. हर्षित खरे — ने हार नहीं मानी। उन्होंने मिट्रा क्लिप नामक एक अत्याधुनिक और न्यूनतम चीरा-युक्त तकनीक के जरिए मरीज की माइट्रल वाल्व की मरम्मत की।

प्रो. रूपाली खन्ना ने बताया कि इस मरीज की स्थिति बेहद नाजुक थी, परंतु इस तकनीक ने बिना छाती खोले, बस एक छोटी सी प्रक्रिया के ज़रिए, दिल की मरम्मत कर दी।

इस प्रक्रिया के दौरान एनेस्थीसिया विभाग — प्रो. प्रभात तिवारी, प्रो. आशीष कनौजिया और डॉ. लारीब — की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण रही।

22 अप्रैल 2025 को की गई यह प्रक्रिया सफल रही। मरीज कुछ ही दिनों में अपने पैरों पर चलने लगे और अस्पताल से मुस्कराते हुए घर लौटे। दो हफ्तों की फॉलो-अप में उनकी हालत में अभूतपूर्व सुधार देखा गया — न सांस फूल रही थी, न दिल बैठता था।

मरीज ने भावुक होकर कहा, “मैं संस्थान का तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूं। उन्होंने न केवल मेरी जान बचाई, बल्कि मुझे फिर से ज़िंदगी जीने की उम्मीद दी। अब हर सुबह नई लगती है संस्थान के निदेशक प्रो. आर.के. धीमान ने बधाई दी है।

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