तनाव से मुकाबला करने के लिए बड़े प्रयास नहीं बल्कि छोटी कोशिश की काफी है। राहत देने वाली बात यह है कि इससे बिना दवाओं के भी छुटकारा पाया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो तनाव के इलाज के लिए सबसे पहले इस बात का पता लगाना जरूरी है कि तनाव जीवन में शामिल हो चुका है।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख प्रो. के श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं कि देश के युवाआें में तनाव का स्तर बढ़ रहा है जिसका असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है, लेकिन अच्छी बात यह है कि कंपनियां भी अब इस ओर ध्यान दे रही हैं। इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एसके गुप्ता कहते हैं कि सप्ताह में यदि तीन से चार बार रक्तचाप असमान्य हो रहा है तो इसका मतलब है कि दिनचर्या और खानपान में सुधार की जरूरत है। 40 प्रतिशत मामलों में शुरूआत में इसकी पहचान नहीं होती, इसलिए महीने में एक बार बीपी जांच अवश्य कराएं। सेंटर फॉर क्रानिक डिसीज के डॉ. डी प्रभाकरन कहते हैं कि सुबह छह बजे से शाम पांच बजे की दिनचर्या में तीन महीने नियंत्रित किया जाएं तो तनाव से बाजी जीती जा सकती है। नमक का कम इस्तेमाल, सिगरेट और शराब से दूरी, थोड़ा व्यायाम और आहार पर ध्यान यह छोटी बातें ही बेहतर परिणाम दे सकती हैं।
तनाव से जंग के लिए एक कदम
-खाने में नियमित पांच ग्राम से अधिक नमक न लें
-इस बात पर ध्यान की खाने में हरी सब्जियां अधिक हों
-सिगरेट या शराब के आदी हैं तो धीरे-धीरे मात्रा घटाएं
-समस्याओं को बांटना सीखें, इससे तनाव कम होता है
-व्यायाम नहीं तो आधे घंटे हरी घास पर जरूर टहले
-वजन पर रखें ध्यान, बाहर की चीजें कम खाएं
-डिब्बाबंद खाद्य सामग्रियों से करें परहेज
कारपोरेट कंपनियों ने अपना तनाव प्रबंधन
25 वर्षीय गगनदीन बीते एक साल से हाइपरटेंशन के शिकार है। आईटी कंपनी में एक्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत गगनदीन बीते पांच महीने से तनाव की दवाएं खा रहे हैं। कंपनी ने पहल करते हुए गगम की काउंसलिंग की, पता चला कि 70 हजार मासिक आय में एक बड़ा हिस्सा ईएमआई चुकाने में चला जाता है। परेशानी जानकर ऑफिस ने हालांकि वेतन तो नहीं बढ़ाया, लेकिन गगनदीन को तनाव प्रबंधक काउंसलिंग में शामिल कर लिया गया।
न्यूजीलैंड ने अपनाया नया मॉडल
तनाव के बढ़ते मामलों को देखते हुए न्यूजीलैंड ने कंपनियों में डिस्ट्रेस मॉडल लागू किया है। इसमें किसी भी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों में स्मोकर और नॉन स्मोकर की श्रेणी में शामिल किया जाता है। इसका आश्य यह है कि धुम्रपान करने वालों पर तनाव का असर अधिक पड़ने की संभावना को देखते हुए उसकी स्वास्थ्य जांच पर धुम्रपान न करने वाले कर्मचारियों की अपेक्षा अधिक ध्यान दिया गया।
तनाव से आर्थिक नुकसान
-वर्ष 2004 में असंक्रामक बीमारी की वजह से देश को कुल 251 बिलियन रुपए की राष्ट्रीय आय की क्षति हुई, जिसमें 43 बिलियन तनाव के इलाज पर खर्च हुआ।
-मधुमेह, दिल और मोटापे जैसे असंक्रामक बीमारियों पर लोगों की आय का 45 प्रतिशत हिस्सा खर्च हुआ, जिसमें 18 प्रतिशत तनाव के इलाज में खर्च किया गया।
-तनाव के इलाज के लिए 64 प्रतिशत घरों में तनाव की एक से अधिक दवाएं इस्तेमाल की गईं।
नोट-वर्ष 2010 में बीएमसी कार्डियोवास्कुलर डिस्कॉट पत्रिका में छपे मॉरिक एम के लेख पर आधारित