तेज बुखार, कंपकपाहट लगना, शरीर पर लाल चकत्ते और जोड़ों में दर्द और सूजन के अलावा भी कई ऐसे लक्षण हैं जिन्हें चिकनगुनिया बुखार की पहचान में शामिल किया जा सकता है। डेंगू और चिकनगुनिया कारक संक्रमित एडीस मच्छर के काटने से होने वाले बुखार के लक्षण मरीजों में अलग अलग देखे जा रहे हैं। बुखार पर शोध करने के लिए आईसीएमआर और एम्स ने सभी निजी और सरकारी अस्पताल से ऐसे मरीजों की केस स्टडी मांगी है जिन मरीजों में लक्षण अलग देखे जा रहे हैं। लक्षण के आधार पर संभव है कि अगले साल से डेंगू और चिकनगुनिया के इलाज की नई गाइडलाइन तैयार की जा सके।
एम्स के मेडिसन विभाग के डॉ. आशुतोष बिश्वास ने बताया कि डेंगू और चिकनगुनिया के बुखार के लक्षण में बेहद सुक्ष्म अंतर होता है, जबकि इलाज के लिए आने वाले मरीजों में कुछ अलग तरह के लक्षण भी देखे जा रहे हैं। एम्स ऐसे मरीजों की केस हिस्ट्री के आधार पर डेंगू चिकनगुनिया के अधिक बेहतर इलाज पर काम करेगा। वहीं आईसीएमआर ने ऐसे मरीजों का खाका तैयार किया है जिन मरीजों में लक्षण डेंगू और चिकनगुनिया के भी देखे गए लेकिन उनकी रिपोर्ट नेगेटिव देखी गई। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. रजनीकांत ने बताया कि अधिक बीमारी के लक्षण की गंभीर पड़ताल इलाज की सही दिशा तय करेगी, चिकित्सस इस बात पर भी शोध कर रहे हैं कि एडीस मच्छर का खून में संक्रमण मरीज का असर रोगप्रतिरोधक क्षमता के अनुसार पड़ता है। सरगंगाराम अस्पताल के इंटरनल मेडिसर विभाग के डॉ. अतुल कक्कड़ ने बताया कि चिकनगुनिया के 50 प्रतिशत मरीजों में सूजन के साथ जोड़ों में दर्द देखा जा रहा है, जबकि 20 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जिनके केवल कुछ प्रमुख जोड़ में दर्द होता है, हालांकि बुखार खून में संक्रमण होने के दो से तीन दिन बाद होता है। डेंगू की अपेक्षा चिकनगुनिया की पहचान देर में होती है, जिसमें भी बुखार को तीन से चार श्रेणी में बांटा जा सकता है। साधारण चिकनगुनिया में पहले जोड़ में दर्द, फिर बुखार और तीसरे दिन शरीर पर लाल चकत्ते देखे जाते हैं, जबकि बुजुर्गो में चिकनगुनिया की गंभीर श्रेणी अधिक देखी जा रही है, जिसमें अस्थाई आर्थराइटिस, जोड़ों और मसूढ़ों में सूजन के साथ ठंड लगकर बुखार चढ़ता है।