यूपी के इन जिलों में नहीं है मलेरिया का कोई मरीज

लखनऊ
यूपी में हर साल डेंगू, मलेरिया व चिकनगुनिया जैसी मच्छरजनित बीमारियां कहर ढाती है। इसकी रोकथाम में जुटे स्वास्थ्य विभाग ने करीब 12 जिलों में मलेरिया को खत्म करने में सफलता पायी है। विभाग का दावा इन जिलों में तीन सालों में कोई मलेरिया मरीज नहीं मिला। बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इससे पूर्व जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि सरकार ने मलेरिया का उन्मूलन का लक्ष्य साल 2030 तय किया गया है। पिछले कुछ सालों में राज्य में मलेरिया के मामलों में कमी आई है। आजमगढ़, सहारनपुर, मैनपुरी, में पिछले तीन सालों में और चित्रकूट में पिछले दो सालों में मलेरिया का कोई केस सामने नहीं आया है। इसके साथ ही आठ जिलों बांदा, महोबा, जालौन, ललितपुर देवरिया, संतकबीरनगर, बलरामपुर और रायबरेली में साल 2024 में मलेरिया का कोई भी केस सामने नहीं आया है। वर्ष 2024 में प्रदेश के 10 जिलों बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर लखनऊ, पीलीभीत, सोनभद्र और कानपुर देहात मलेरिया प्रभावित क्षेत्र रहे जहां मलेरिया के 11,914 मरीज मिले थे। संयुक्त निदेशक मलेरिया डॉ. विकास सिंघल बताते हैं कि सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का परिणाम है कि प्रदेश में साल 2023 में मलेरिया के 13,603 रोगी मिले जबकि साल 2024 में घटकर इनकी संख्या 13,477 रह गई। प्रदेश में साल 2023 में मलेरिया की 1.07 करोड़ जांचें की गईं। साल 2024 में इसकी संख्या 1.45 करोड़ हो गई। मलेरिया की वार्षिक रक्त जांच दर (एबीईआर) में भी वृद्धि हुयी है। साल 2023 में एबीईआर 4.50 फीसद थी जोकि 2024 में 6.12 फीसद हो गयी है। निदेशक संचारी डा. मधु गैरोला का कहना है कि मलेरिया की पुष्टि के लिए रैपीड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट अथवा माइक्रोस्कोपी जांच की जाती है। यह किट सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपलब्ध हैं। मलेरिया की पुष्टि होने पर तुरंत इलाज शुरू किया जाता है। मलेरिया रोग के प्रसार को कम करने के लिए सभी रोगियों के सापेक्ष 24 से 48 घंटे के अंदर केस बेस्ड एक्टिविटी की जाती है। इसमें इंडेक्स घर के आस-पास घरों मच्छर जनित परिस्थितियों को समाप्त किया जाता है। इसके साथ ही रोगियों में रोग के प्रसार का कारण जानने के लिए केस इन्वेस्टीगेशन फॉर्म भरे जाते हैं। इसके साथ ही हर साल, साल में तीन बार अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाता है जो कि पूरे माह चलता है।

क्या है मलेरिया

यह मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है। जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटती है, तो संक्रमण फैलने से उसे मलेरिया हो जाता है। एनाफिलीज मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम नामक पैरासाइट रक्त में पहुंच जाता है और बॉडी की लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है। यह मच्छर ज्यादातर नम और पानी वाली जगहों पर पाया जाता है, इसलिए मच्छर से बचाव के लिए घर के आसपास सफाई और पानी जमा न होने देने की बात कही जाती है। लापरवाही या सही इलाज न होने पर मलेरिया जानलेवा भी साबित हो सकता है।

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