अनियमित दिनचर्या और तनाव ने लोगों में ब्लड प्रेशर को बढ़ा दिया है। आईएमए द्वारा किए किए गए एक अध्ययन के अनुसार हर दस लोगों में छह का बीपी सामान्य से अधिक या कम पाया जाता है। लेकिन परेशानी बढ़ी तो उसका तोड़ भी नया ही निकाला गया, बीपी नियंत्रित करने के लिए नमक का सेवन करने या न करने की कहानी अब पुरानी हो गई है, रूद्राक्ष में मौजूद इलेक्ट्रो मैगनेटिक उर्जा को बीपी नियंत्रित करने के लिए अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। यही कारण है कि बीते कुछ दिनों से शक्ति संचारित रूद्राक्ष की मांग बाजार में बढ़ गई है।
इनमें सबसे अधिक पांच मुखी रूद्राक्ष को अधिक पसंद किया जा रहा है, जिसे कोई भी धारण कर सकता है। भगवान शिव के आंसू रूपी रूद्राक्ष के प्रयोग को लेकर युवाओं को ज्ञान अब भी अधूरा है हालांकि बीपी नियंत्रित करने के लिए लंबे समय तक दवाओं का सेवन करने की जगह वह रूद्राक्ष को धारण करने को प्रमुखता दे रहे हैं। इलाहाबाद में मीरापुर में मैरेकल स्प्रिचुअल हिलिंग सेंटर चलाने वाले लाइफ कोच और हीलर अमरजीत सिंह ने बताया कि गुरूपूर्णिमा के लिए पांच हजार रूद्राक्ष को विशेष पूजा के तहत शक्ति संचारित किया गया, जिसकी अधिकांश प्रति बुक कराई जा चुकी है। हर साल गुरूपूर्णिमा के बाद बीपी और दिल की बीमारी के मरीज बढ़ी संख्या में रूद्राक्ष की मांग लेकर यहां पहुंचते है। हालांकि रूद्राक्ष धारण करने से पहले गौत्र नाम और उम्र के अनुसार व्यक्ति को सोमवार और वृहस्पतिवार को ही ओम नम: शिवाय जाप के साथ रूद्राक्ष को धारण करने की सलाह दी जाती है। अकेले इलाहाबाद में जापान और इंडोनेशिया से हर साल लाखों की संख्या में रूद्राक्ष मंगाए जाते है। साधारण रूद्राक्ष का मोती 75 से 250 रुपए तक मिलता है जबकि शक्तिसंचारित रूद्राक्ष की कीमत ढाई हजार से शुरू होकर डेढ़ लाख रुपए तक भी हो सकती है।
विज्ञान की कसौटी पर रूद्राक्ष
धार्मिक मान्यताओं से जुड़े होने के कारण रूद्राक्ष पर अधिक शोध नहीं किया गया, लेकिन वर्ष 1985 में महाराष्ट्र के एक वैद्य शोध में इसे वैज्ञानिक कसौटी पर परखा। पाया गया रूद्राक्ष ही नहीं इसका पाउडर भी बीपी को नियंत्रित करने में बेहद कारगर है। रूद्राक्ष को पानी में डुबोने पर पानी की इलेक्टिकल शक्ति में परिवर्तन देखा गया। डॉ. गोडे के शोध में पाया गया कि रूद्राक्ष में स्ट्रिाल और पोलीफेलोनिक गुण पाए जाते हैं, इसके एल्कनॉयड की मात्रा न के बराबर होती है। रूद्राक्ष शरीर से उत्सर्जित होने वाले विषाक्त या टॉक्सिक तत्वों को संतुलित करता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बनारस द्वारा किए गए एक अहम शोध में डॉ. सुहास रॉय के शोध के जरिए यह बात साबित हुई कि पसली के नीचे दिल से ठीक ऊपर धारण किया गया रूद्राक्ष धड़कनों को नियंत्रित रखता है।