नई दिल्ली
दिल्ली एनसीआर प्रदूषण की जद में है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद ग्रैप्स फोर (Standards of Generally Recognised Accounting Practice (GRAP).के नियम लागू कर दिए गए है, इसके साथ ही कार्यालयों में पचास प्रतिशत कर्मचारियों को वर्क फ्राम होम के आदेश दे दिए गए है, घर में रहते हुए भी प्रदूषण से बचने के लिए आप एअर प्यूरीफायर का प्रयोग कर रहे हैं और इस आश्य से कर रहे हैं कि घर में अस्थमा के शिकार मरीजों को इससे लाभ होगा? तो आप बिल्कुल गलत हैं, दरअसल यूके के अध्ययन के अनुसार एअर प्यूरीफायर ऑक्सीजन का स्तर बेहतर करता है, लेकिन यह अस्थमा के मरीजों को राहत देगा, इसके पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं।
अध्ययन में 50-50 लोगों के समूह को 78 हफ्ते तक एक समूह को सक्रिय एअर प्यूरीफायर के संपर्क में रखा गया, जबकि दूसरे एन समूह को प्लेसबो (शोध में शामिल डमी प्रतिभागी) के रूप में रखा गया। डायसन एअरप्यूरीफायर की गुणवत्ता को जांचने के लिए किए गए शोध के आउटकम काफी अचंभित करने वाले थे, देखा गया कि प्यूरीफायर से वायु का स्तर सुधरा लेकिन अस्थमा के मरीजों को इससे खास फायदा नहीं हुआ। अध्ययन को लेकिन विशेषज्ञ अधिक आश्वस्त नहीं दिखे, बताया कि पहला शोध कोविड काल में किया गया, दूसरा अध्ययन की अवधि भी कम थी, इसलिए वैज्ञानिकों ने आगे इस संदर्भ में अधिक शोध करने की बात भी कही है। डमी प्रतिभागी और शोध में शामिल लोगों की समस्या के अनुसार तीन तरह के प्रश्न किए गए, दूसरी चरण के परिणाम में इंडोर वायु प्रदूषण और फेफड़ो की सामान्य गतिविधि को जांचा गया। स्पाइरोमेटरी मेजरमेंट (कोविड के समय श्वसन प्रणाली को मापने वाली प्रक्रिया) के तहत नाइट्रिक ऑक्साइड और हाइपररेस्पांसिव की स्थिति बेसलाइन पर पाई गई। हालांकि एअर प्यूरीफायर की वजह से इंडोर वायु प्रदूषण या एअर पाल्यूटेंट की संख्या कम देखी गई, दोनों ही श्रेणी में एक्यूआई का स्तर बेहतर देखा गया।
अध्ययन में 23 महीने के मिनिमम फालोअप के तहत हर मरीज का 18 महीने तक गहनता से जांचा गया। जिसमें अस्थमा पर प्यूरीफायर के असर को भी देखा गया, जिसमें देखा गया कि अस्थमा मरीजों की सेहत में खास सुधार नहीं हुआ, केवल इंडोर प्रदूषण के कणों में कमी देखी गई। प्यूरीफायर के सक्रिय फिल्टर पीएम 2.5 स्तर को कम करने में सहायक रहे, हालांकि डायसन प्यूरीफायर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार पांच एमजी और एमथ्री को पूरा करता है, जिसकी वजह से इंडोर पॉल्यूटेंट पीएम 2.5 स्तर पर बना रहता है, लेकिन अस्थमा मरीजों के लिए यह पर्याप्त नहीं है। हालांकि यूके में इस शोध के अनुपात में अस्थमा के शिकार बच्चों में इंडोर एचईपीए फिल्ट्रेशन को अजमाया गया, जिसके परिणाम भी अधिक बेहतर नहीं पाए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि अस्थमा एक गंभीर हीट्रेजेनियस बीमारी है, जिसके कई कारक होते हैं प्रदूषण और एलर्जी दो प्रमुख वजह है। अध्ययन में शामिल पचास प्रतिशत प्रतिभागी नियमित रूप से सिगरेट का सेवन करते थे, जबकि बाकी प्रतिभागी अस्थमा नियंत्रित करने वाली दवाओं का सेवन कर रहे थे।