यूनिवर्सिटी में शुरू करें गर्भ संस्कार पाठ्यक्रम


लखनऊ
महिला को गर्भधारण से पहले ही यह पता हो कि गर्भावस्था के दौरान कैसा आहार लेना चाहिए। बच्चे के जन्म के बाद शिशु की सेहत का ध्यान कैसे रखा जाये। अगर यह जानकारी महिला को होती है तो जच्चा-बच्चा स्वस्थ होंगे। शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर ढग़ से हो सकेगा। यह तभी सम्भव है जब महिला को गर्भ संस्कार की जानकारी हो। सभी विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है कि पाठ्यक्रम में गर्भ संस्कार को शामिल किया जाये।
यह सलाह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सभी विश्वविद्यालयों को दी है। वह शनिवार को राजभवन में केजीएमयू की नैक (राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद) पुनर्मूल्यांकन (री-असेसमेंट) एसएसआर की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रही थी। बैठक में राज्यपाल ने कहा कि गर्भावस्था और प्रसव से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए शोध करना चाहिए। डाक्टर शोक कर पता लगाएं कि नौ महीनों के दौरान भ्रूण का उत्तम विकास कैसे सुनिश्चित किया जाए। गर्भवती को कैसा आहार लेना चाहिए। प्रसव के बाद नवजात शिशु को क्या आहर दें। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों के पाठयक्रम में गर्भ संस्कार को शामिल किया जाए।
उन्होंने कहा कि बच्चियों और भावी माता-पिता को इस विषय पर प्रशिक्षण दिया जाए। पिता को भी यह प्रशिक्षण मिले कि गर्भावस्था के दौरान उसे क्या करना है। उन्होंने निर्देश दिया कि गर्भ संस्कार के विषय पर किताबें तैयार की जाएं। इस क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाए। राज्यपाल ने कहा कि बिना दर्द के प्रसव यानि पेन फ्री डिलीवरी कैसे संभव हो, इस विषय पर भी शोध की जरूरत है। कहा कि मीनोपॉज (रजोनिवृत्ति) को भी विवि के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। महिलाओं में मीनोपॉज के दौरान हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं के बारे में जागरुकता फैलाई जाए। राज्यपाल ने कहा कि जब एक बेटी इसका ज्ञान अर्जित करेगी तो वह अपने साथ परिवार की अन्य महिलाओं की भी सहायता कर सकती है। उन्होंने निर्देश दिया कि गर्भ संस्कार, प्रसव पूर्व देखभाल और मीनोपॉज जैसे विषयों को आयुर्वेद से जोडक़र शोध करने की जरूरत है। इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति का लाभ उठाकर नई पीढ़ी को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने केजीएमयू के एनाटॉमी विभाग ने शुरू की गईं कैडेवरिक वर्कशॉप के बारे में कहा कि एडवांस लर्निंग के माध्यम से छात्रों को सर्जिकल तकनीकों में दक्ष बनाए जाए। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च ग्रेड प्राप्त करना प्रसन्नता का विषय है मगर विवि का उद्देश्य केवल ग्रेड प्राप्त करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए। विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण एवं उद्देश्यपरक शिक्षा प्रदान करने को अपना प्राथमिक लक्ष्य बनाना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि ट्रांसजेंडर के बीच जाकर संवाद करें और उनको जागरुक करें। उन्होंने कहा कि कैंपस के भीतर ही नहीं, बाहर जाकर भी विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त गतिविधियां आयोजित की जाएं। आंगनबाड़ी केन्द्रों और क्षय रोग (टीबी) से ग्रसित मरीजों की सहायता एवं सेवा कार्यों में भी विश्वविद्यालय को और अधिक भागीदारी निभानी चाहिए।

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