लखनऊ
लोहिया संस्थान में पांच साल की एक बच्ची को भर्ती कराया गया। बच्ची को चक्कर और उल्टी की शिकायत थी। उसकी आंखों की रोशनी भी कमजोर हो गई थी। सिर का आकार भी आसामान्य रूप से बढ़ रहा था जिससे आंखे बाहर की ओर निकल आईं थी। जांच में पता चला कि बच्ची गंभीर बीमारी के्रनियोफेशियल सिंड्रोम से ग्रसित है। संस्थान के डाक्टरों ने पीजीआई के विशेषज्ञों के सहयोग से बच्ची के सिर का ऑपरेशन किया। बच्ची के सिर की हड्डी को चार टुकड़ों में काटा ताकि दिमाग का विकास हो सके। डॉक्टरों का दावा है कि लोहिया संस्थान में इस तरह का पहला ऑपरेशन है। अब बच्ची की हालत में सुधार हो रहा है। संस्थान के न्यूरो सर्जन डॉ. दीपक कुमार सिंह ने बताया कि गोंडा निवासी किसान की दो वर्ष की बेटी आराध्या सिंह के सिर का आकार जन्म के बाद से ही असामान्य रूप से बढ़ता रहा। आंखें बाहर की ओर आ गईं। लगातार सिर में दर्द हो रहा था। चक्कर और उल्टी की भी शिकायत शुरू हुई। धीरे-धीरे आंखों की रोशनी भी कमजोर हो रही थी। बच्ची को कई अस्पतालों में दिखाया गया था। इलाज के बाद भी राहत नहीं मिली। परिजन उसको लेकर लोहिया संस्थान पहुंचे। न्यूरो सर्जरी विभाग में उसकी जांच कराई तो सिर की गंभीर बीमारी केनियोफेशियल सिंड्रोम की पुष्टि हुई। डॉ. सिंह ने बताया कि जन्म के समय बच्चों के सिर की हड्डियां कई हिस्सों में बंटी होती हैं, जो छह माह बाद से आपस में धीरे-धीरे जुडऩी शुरू होती हैं। 10 से 11 साल की उम्र में सिर की सारी हड्डियां आपस में जुड़ती हैं। इस बच्ची की हड्डियां समय से पहले ही जुड़ गईं। नतीजा उसके दिमाग का विकास प्रभावित होने लगा। इसका असर चेहरे व आंखों पर भी पड़ा। उन्होंने बताया कि बच्ची को बीमारी से निजात दिलाने के लिए ऑपरेशन करने की सलाह दी गई तो परिवारीजन राजी हो गए। डॉ. डीके सिंह ने बताया कि न्यूरो साइंस सेंटर भवन में बच्ची के सिर का करीब 9 घंटे ऑपरेशन चला। सिर की हड्डी के चार टुकड़े किए गए ताकि दिमाग का विकास हो सके। हड्डी के दो छोटे टुकड़े निकाल कर आंखों के ऊपरी व नीचे के हिस्से में प्रत्यारोपित किए गए। इससे आंखें सामान्य रूप से भीतर जाएंगी। वहीं चेहरे की विकृति भी डेढ़ से दो साल में ठीक होगी। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्ची को सिर दर्द, उल्टी व चक्कर जैसी समस्याओं से निजात मिल गई है। यह सर्जरी पीजीआई प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव अग्रवाल के सहयोग से हुई है। डा सिंह ने बताया कि आपरेशन कई चरणों में हुआ। सबसे पहले मरीज की विकृत खोपड़ी को खोला गया। केनियोफेशियल सर्जन डॉ. राजीव अग्रवाल ने सबसे पहले चपटे माथे के स्वरूप को सुधारा। रीमांडलिंग की प्रक्रिया से विकृत कपाल वॉल्ट को सही आकार दिया गया। इसके बाद सिर की हड्डी को पुन: प्रत्यारोपित किया गया।