2050 तक 36 प्रतिशत बढ़ जाएगी Back Pain की समस्या

The problem of back pain will increase by 36 percent by 2050, working youth who sit on chairs for long periods of time are increasingly becoming victims of this problem, research was done by scientists from the University of Turku, Finland

नई दिल्ली

लैंसेट रूमेटोलॉजी (Lancet Rheumetology)पत्रिका में प्रकाशित हालिया विश्लेषण के अनुसार, 2050 तक 80 करोड़ से अधिक लोग पीठ के निचले हिस्से में दर्द से पीड़ित होंगे, जो 2020 की तुलना में 36 प्रतिशत की वृद्धि है। अध्ययन से पता चला है कि 2017 से कमर दर्द (Back Pain) के मामले तेजी से बढ़े हैं और यह संख्या आधे अरब से ज्यादा हो गई है। साल 2020 में कमर दर्द के लगभग 61.9 करोड़ मामले थे।

पीठ दर्द बहुत आम है। पीठ में दर्द होने के कुछ मुख्य कारण मांसपेशियों में खिंचाव, डिस्क की क्षति, कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे- स्कोलियोसिस और ऑस्टियोपोरोसिस शामिल हैं। कोविड के बाद लोगों में काम करने के तरीके में खासा बदलाव आया है, वर्क फ्राम होम या फिर लैपटॉप पर औसतन युवा अब अधिक समय बीता रहे हैं जो उन्हें समय से पहले ही पीठ दर्द सहित नर्व सहित कई अन्य बीमारियों का शिकार बना रहा है। समय रहते अपनी पोजिशियन या काम करने के घंटो को करने के साथ व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करना बचाव का एक मात्र विकल्प है। एक नये अध्ययन में पीठ दर्द को बढ़ने से कैसे रोका जा सकता है इसे लेकर खुलासा हुआ है। अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि पीठ दर्द को बढ़ने से रोकने के लिए हर रोज बैठने का समय कम करें और व्यायाम करें।

फिनलैंड के तुर्कू विश्वविद्यालय के डॉक्टरेट शोधकर्ता और फिजियोथेरेपिस्ट जोआ नोरहा के अनुसार  लंबे समय तक डेस्टटॉप या फिर लैपटॉप पर काम करने वाले युवाओ को अपने बैठने के घंटो को किसी भी तरह कम करने पर ध्यान देना चाहिए। लांग सिटिंग पोजिशन और पीठ दर्द के बीच को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने अधिक वजन या मोटापे और मेटाबोलिक सिंड्रोम से ग्रस्त 64 वयस्कों को शामिल किया। छह महीने के अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों ने औसतन प्रतिदिन 40 मिनट तक बैठने का समय कम कर दिया। पीठ दर्द से पीड़ित लोगों में अक्सर पीठ की मांसपेशियों में अत्यधिक वसा जमा हो जाती है। उनमें ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म या इंसुलिन सेंसिटिविटी में कमी होने की भी संभावना होती है, जिससे उन्हें दर्द होने की संभावना ज्यादा होती है। हालांकि, अध्ययन में ‘पीठ की मांसपेशियों की चर्बी (वसायुक्तता) या ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म’ के बीच कोई संबंध नहीं मिला। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने कहा कि ज्यादा वजन या मोटापे और मेटाबोलिक सिंड्रोम से न केवल पीठ दर्द का खतरा बढ़ता है, बल्कि हृदय रोग का भी खतरा बढ़ जाता है। फिजियोथेरेपिस्ट जोआ नोरहा ने कहा, ‘केवल खड़े रहना भी मददगार नहीं हो सकता। इसके बजाय चलना या अधिक तेज व्यायाम ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।’ शोधकर्ताओं का कहना है कि सही सिटिंग पोजिशन की तलाश करने की तुलना में पोजिशन के बीच बदलाव करना ज्यादा महत्वपूर्ण है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल के रिहृयुमेटोलॉजिस्ट और सरगंगाराम अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ वेद प्रकाश चतुर्वेदी कहते हैं युवाओं के लिए यह बेहद जरूरी है कि वह काम के साथ साथ अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें, लंबे समय तक एक ही पोजिशन में काम करने से मांसपेशियों में अकड़न आती है, साथ ही शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी प्रभावित होती है। व्यायाम के साथ ही स्ट्रेचिंग को भी युवा आम दिनचर्या में जरूरी शामिल करें, इसके साथ ही लंबे समय तक बैठने की पोजिशन को भी बदलते रहें।

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