जब रिपोर्ट में आए थायरॉयड हार्मोन्स की गड़बड़ी

Thyroid is a gland present in our neck. It looks like a butterfly. Its job is to secrete T3, T4 Hormones.

विश्व थायरॉयड दिवस, 25 मई पर विशेष

नई दिल्ली

हमारे शरीर में थायरॉइड की उपयोगिता क्या है? थायरॉइड की परेशानी क्यों होती है? अगर थायरॉइड का इलाज नहीं किया गया तो क्या हो सकता है? क्या इसका असर दिल पर भी होता है? क्या यह मोटे लोगों को ज्यादा होता है?

हमारे शरीर की गतिविधियां अमूमन दो तरीकों से कंट्रोल होती है। नर्वस कंट्रोल और दूसरा हॉर्मोनल कंट्रोल। नर्वस कंट्रोल बहुत तेज होता है, जैसे हमने कोई गर्म या ठंडी चीज छू ली तो हम फौरन ही हाथ हटा लेते हैं। यह तुरंत होनेवाला रिऐक्शन ही नर्वस कंट्रोल है। वहीं हॉर्मोनल कंट्रोल में वक्त लगता है। यह धीरे-धीरे होता है। जैसे- गुस्सा आना, प्यार का अहसास, सेक्स की फीलिंग। हॉर्मोनल कंट्रोल में गड़बड़ी से शुगर, थायरॉइड से जुड़ी जैसी परेशानी भी आती है। आज बात सिर्फ थायरॉइड की।

थायरॉइड एक ग्लैंड (ग्रंथि) है जो हमारी गर्दन में मौजूद है। यह बटरफ्लाई यानी तितली की तरह दिखती है। इसका काम है T3, T4 हॉर्मोन निकालना। T3: 10 से 30 माइक्रोग्राम और T4: 60 से 90 माइक्रोग्राम निकलता रहता है। T3, T4 हॉर्मोन का उत्पादन कम या ज्यादा हो तो इसे सही बनाकर रखने के लिए TSH (Thyroid Stimulating Hormone) अहम रोल निभाता है। इसी के अनुसार इस हॉर्मोन को भी अपना उत्पादन घटाना या बढ़ाना पड़ता है। TSH हॉर्मोन हमारे दिमाग में मौजूद पिट्यूटरी ग्लैंड से निकलता है। यही कारण है कि कई बार ब्लड टेस्ट कराने पर रिपोर्ट में T3, T4 तो सामान्य रहता है लेकिन TSH ज्यादा या कम आता है। इससे यह बिलकुल नहीं समझना चाहिए कि परेशानी TSH की है। असल में T3, T4 के उत्पादन में आए फर्क का नतीजा ही TSH में गड़बड़ी के रूप में सामने आता है।

ये-ये कारण हैं थायरॉइड की क्षमता कम होने के

– किसी शख्स के लगातार तनाव या डिप्रेशन में रहने से

– खाने में आयोडीन की मात्रा कम या ज्यादा होने से

– फैमिली हिस्ट्री की वजह से

– कुछ दवाइयों जैसे- Lithium जो मानसिक रोगियों की दी जाती है और Amiodarone जो अक्सर दिल के मरीजों को दी जाती है, इन दवाओं को लंबे समय तक लेने से

-थायरॉइड कैंसर जैसी गंभीर परेशानी होने पर इसे सर्जरी के द्वारा निकालने से

– किसी शख्स में पैदाइशी थायरॉइड ग्लैंड न होने से

-थायरॉइड की दवा ले रहे हों और अचानक डॉक्टर से बिना पूछे ही उसे बंद कर देने से

–  ऑटो इम्यून डिजीज (जब शरीर में मौजूद हमारे सैनिक यानी ऐंटिबॉडी ही अंगों पर हमला कर देते हैं) की वजह से

बड़ा फर्क पड़ता है TSH घटने-बढ़ने से

हाइपरथायरॉइडिज़म की तुलना में हाइपोथायरॉइडिज़म के मामले ज्यादा होते हैं। चूंकि यह एक ग्रंथि है, इसलिए इससे निकलने वाले स्राव T3, T4 का कम या ज्यादा होना ही इसकी समस्या की जड़ होती है। जब किसी गड़बड़ी की वजह से ये हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में निकलते हैं तो इसे हाइपरथायरॉइडिज़म कहते हैं। वहीं जब हॉर्मोन निकलने में कमी आ जाती है तो इसे हाइपोथायरॉइडिज़म कहते हैं। शरीर में इन हॉर्मोन्स का स्तर सही बनाकर रखने के लिए हमारे ब्रेन से TSH हॉर्मोन निकलता है।

जब ब्लड रिपोर्ट में आए कम TSH

TSH हॉर्मोन का काम है थायरॉइड ग्लैंड में बनने वाले हॉर्मोन की गति को कम या ज्यादा करना। अगर किसी को हाइपरथायरॉइडिज़म की परेशानी हुई है। इसका सीधा-सा मतलब है कि उसके शरीर में मौजूद ग्रंथि ज्यादा मात्रा में T3 और T4 हॉर्मोन का उत्पादन ज्यादा करने लगी है। इनके ज्यादा उत्पादन से शरीर में अलग-अलग लक्षण उभरने लगते हैं। इन लक्षणों को सही करने के लिए शरीर का अपना एक सिस्टम है। उस सिस्टम का अहम भाग है पिट्यूटरी ग्लैंड। यह ग्लैंड एक हॉर्मोन TSH निकालता है। यह हॉर्मोन थायरॉइड की कोशिकाओं को उत्तेजित करता है, पर हाइपरथायरॉइडिज़म में पहले से ही हॉर्मोन्स का ज्यादा उत्पादन हो रहा होता है। इसलिए पिट्यूटरी अपने हॉर्मोन यानी TSH का उत्पादन कम कर देता है। जब यह काफी कम होने लगता है तो कई दूसरी परेशानियां भी उभरने लगती हैं। ऐसे में जब कोई हाइपरथायरॉइडिज़म का मरीज अपने खून की जांच कराता है तो उसके शरीर में TSH की मात्रा कम निकलती है। ऐसे में डॉक्टर मरीज को Livo-Thyroid की गोली देते हैं। इससे शरीर में थायरॉइड के हॉर्मोन की मात्रा कम होने लगती है, नतीजा TSH भी नॉर्मल हो जाता है।

जब TSH ज्यादा आए ब्लड रिपोर्ट में

यह स्थिति हाइपोथायरॉइडिज़म के केस में बनती है। इसमें T3, T4 का उत्पादन कम होने लगता है। इसे बढ़ाने के लिए ब्रेन TSH का उत्पादन बढ़ा देता है ताकि थायरॉइड ग्लैंड ज्यादा से ज्यादा मात्रा में इन हॉर्मोन्स का उत्पादन कर सके। जब खून में T3, T4 का स्तर कम होने लगता है और TSH का स्तर बढ़ने लगता है तो कई तरह के लक्षण उभरते हैं। इसकी विस्तार से चर्चा हम आगे करेंगे। ऐसे में डॉक्टर मरीज को T3, T4 हॉर्मोन की गोली लेने की सलाह देते हैं। यह दवा सुबह में खाली पेट लेनी होती है। इस दवा को लेने से शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन का स्तर सामान्य होने लगता है। नतीजा TSH का उत्पादन भी कम होकर सामान्य हो जाता है। इससे TSH की वजह से होने वाले बुरे लक्षण भी खत्म होने लगते हैं।

थायरॉइड टेस्ट में जब T3, T4 ज्यादा आए…

T3, T4 ज्यादा आने का मतलब है हाइपरथायरॉइडिज़म (Hyperthyroidism)। विज्ञान की भाषा में हाइपर का मतलब होता है ‘ज्यादा’ यानी किसी शख्स के शरीर में ज्यादा मात्रा में थायरॉइड हॉर्मोन (T3, T4) निकलने लगे हैं। जैसे-जैसे इन हॉर्मोन्स का स्तर सामान्य से बढ़ने लगता है, उसी हिसाब से लक्षण भी उभरने लगते हैं।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इन हॉर्मोन्स के ज्यादा मात्रा में निकलने से कई परेशानियां पैदा होती हैं:

– थकावट: यह लक्षण हाइपरथायरॉइडिज़म में सबसे अहम है। ऐसे मरीज अक्सर बहुत जल्दी थक जाते हैं। इस वजह से उनकी परफॉर्मेंस ऑफिस से लेकर बेड तक डिस्टर्ब हो जाती है।

– बिना कोशिश वजन कम होना: अंडरवेट होना इसका एक बड़ा लक्षण है।

– मांसपेशियों में कमजोरी: T3, T4 ज्यादा निकलने की वजह से मांसपेशियों में कमजोरी उभरने लगती है। ज्यादा वजन उठाना मुश्किल होता है। हाथों की ग्रिप सही तरीके से नहीं बनती।

– नींद की परेशानी, गर्मी महसूस होना

– त्वचा का पतला हो जाना n बालों का पतला होना और झड़ना

– धड़कनों का तेज होना। (इस स्थिति को टेकीकार्डिया कहते हैं। इसमें हार्टबीट 100 प्रति मिनट तक हो सकता है। जब बढ़ी हुई धड़कन की वजह से सीने में भारीपन महसूस होने लगे तो पल्पटेशन कहते हैं यानी पल्पटेशन भी इसका एक लक्षण हो सकता है।)

– अनियमित धड़कनें (इसे एरिदमिया कहते हैं)

– नर्वसनेस, चिंता, चिड़चिड़ापन

– हाथों में खासकर उंगलियों में कंपन n बिना वजह पसीना निकलना n महिलाओं के पीरियड्स में बदलाव होना

-थायरॉइड ग्लैंड का साइज का बढ़ जाना

नोट: ऊपर बताए गए लक्षण किसी दूसरी बीमारी के भी हो सकते हैं। असल वजह डॉक्टरी जांच के बाद ही पता चलेगी।

बच्चों में कैसी परेशानी

बच्चों में ज्यादातर हाइपोथायरॉइडिज़म ही होता है। हाइपरथायरॉइडिज़म के मामले बहुत कम 5 फीसदी के करीब ही होते हैं।

इसके लक्षण

– सामान्य बच्चों की तुलना में बहुत जल्दी घबराना। किसी बात को लेकर बहुत ज्यसादा डर जाना।

– मानसिक रूप से परेशान रहना

– आंखों का ज्यादा बाहर की ओर निकलना जिसे प्रोप्टोसिस कहते हैं। ये लक्षण बड़ाें में भी दिखते हैं।

– भूख बढ़ जाना, खाना ज्यादा खाना, लेकिन वजन कम हो जाना। कुछ बच्चों को वजन ज्यादा खाने से भी नहीं बढ़ता।

ऐसे करते हैं इलाज: बच्चा अगर थायरॉइड डिसऑर्डर के साथ पैदा हो तो उसे आयोडाइज्ड ऑयल दिया जाता है।  5 साल से कम बच्चों को लगभग 10 माइक्रोग्राम दिया जाता है। अहम बात यह कि इतनी मात्रा में आयोडीन तब तक ही दिया जाता है जब तक कि स्तर सामान्य न हो जाए।

यहां इस बात का भी ध्यान जरूर रखें कि कोई भी इलाज डॉक्टर की सलाह से ही करें। खुद से आजमाने की कोशिश न करें।

 

क्या है बीमारी, लक्षण क्या

हाइपोथायरॉइडिज़म (Hypothyroidism) होने की वजह, हाइपरथायरॉइडिज़म से उलट मानी जाती है। इस स्थिति में थायरॉइड हॉर्मोन (T3, T4) कम निकलता है। ऐसे में शरीर इनके प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए TSH का उत्पादन बढ़ा देता है। दरअसल, TSH हॉर्मोन का काम है थायरॉइड को स्टिमुलेट यानी उत्तेजित कर ज्यादा मात्रा में T3, T4 हॉर्मोन पैदा करवाना। थायरॉइड हॉर्मोन के कम होने और TSH के बढ़ने से शरीर में कई लक्षण उभरते हैं:

-रुखी त्वचा: जब TSH की मात्रा काफी बढ़ जाती है तो स्किन ड्राई हो जाती है। यह इसका एक बड़ा लक्षण है।

– वजन बढ़ना: चेहरा समेत पूरे शरीर पर सूजन जैसा दिखता है। इससे वजन भी बढ़ा हुआ महसूस होता है।

– चेहरा सूजा हुआ

– थकावट

-सामान्य से ज्यादा ठंड महसूस होना: सर्दियों में ठंड सभी को महसूस होती है, लेकिन जब यही ठंड इतनी बढ़ जाए कि जैकिट आद से भी न संभले, वहीं दूसरे लोगों ज्यादा ठंड महसूस न हो तो हाइपोथायरॉइडिज़म के लक्षण हो सकते हैं।

-कब्ज

-आवाज में भारीपन

– मांसपेशी कमजोर

– पीरियड्स ज्यादा लंबा चलना

– दिल की धड़कन की गति में कमी n डिप्रेशन यानी अवसाद

– याद्दाश्त में कमी

-थायरॉइड ग्लैंड का साइज बढ़ जाना

नोट: ऊपर बताए गए लक्षण किसी दूसरी बीमारी के भी हो सकते हैं। असल वजह डॉक्टरी जांच के बाद ही पता चलेगी।

क्या दिल का कनेक्शन है

अगर थायरॉइड हॉर्मोन बढ़ जाए तो हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का खतरा भी बन सकता है। दरअसल, T3, T4 हॉर्मोन जब खून के माध्यम से पूरे शरीर की हर कोशिका में पहुंचता है तो इसी क्रम

में यह दिल पर भी असर डालता है। अगर इन हॉर्मोन्स का स्तर सामान्य न हो तो यह सीधे बीपी, हार्ट बीट, कलेस्ट्रॉल सभी को कम या ज्यादा कर देता है। वहीं अगर किसी को पहले से ही हार्ट की समस्या है तो स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है।

इसलिए थायरॉइड की परेशानी को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए और न इग्नोर करें।

बच्चों में कैसी परेशानी

बच्चों में जब यह स्थिति बनती है तो इसका असर फौरन नहीं दिखता। बढ़ती उम्र के साथ लक्षण उभरकर सामने आते हैं।

– बच्चे की लंबाई बहुत कम रह जाए,सामान्य बच्चों की तुलना में उसकी जीभ बड़ी हो

– हड्डियों का विकास धीमा हो

– आईक्यू भी कम हो

– बच्चा गूंगा-बहरा हो।

 

 

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