New Delhi,
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई जूनियर डॉकटर के साथ हुई बलात्कार की घटना ने देश को झकझोर दिया है, जिससे एक बार फिर यह साबित हो गया है कि महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। इसी क्रम में फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग ने दिल्ली पुलिस के परिवर्तन प्रकोष्ठ (सैल) के सहयोग से सात दिन का सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया है। इस प्रोग्राम के माध्यम से मेडिकल फीमेल स्टाफ को आत्मरक्षा के लिए जरूरी कौशल प्रदान किए जाएंगे।
आत्मरक्षा कार्यक्रम के जरिए करीब 600 महिला चिकित्सा कर्मियों (मेडिकल स्टाफ) को अगले सात दिनों तक, आत्मरक्षा के लिए जरूरी विभिन्न तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इनमें मुक्के मारना, कोहनी से वार करना, रोकना, आंखों पर हमला, बालों और हाथों की पकड़ से खुद को मुक्त करने जैसे हुनर शामिल हैं। इनके अलावा, ट्रेनिंग के दौरान, प्रतिभागियों को दैनिक रूप से इस्तेमाल में आने वाले इम्प्रोवाइज़्ड हथियारों को कारगर तरीके से इस्तेमाल करने की तकनीक भी सिखायी जाएगी, ताकि वे खुद को किसी भी खतरनाक स्थिति में सुरक्षित रख सकें।
इस पहल के बारे में फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग के फैसिलिटी डायरेक्टर दीपक नारंग ने कहा, “हम दिल्ली पुलिस के इस महत्वपूर्ण सहयोग के लिए उनके आभारी हैं। आज के समय में, हरेक लड़की और महिला को आत्मरक्षा के हुनर आने चाहिए। हमारा मकसद फीमेल स्टाफ को किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थति में निर्णायक तरीके से प्रतिक्रिया के लिए तैयार करना है।” जितेंद्र कुमार मीणा, आईपीएस, डीसीपी, उत्तर पश्चिमी दिल्ली ने कहा , “यह कार्यक्रम अस्पतालों में कार्यरत महिला मेडिकल स्टाफ को अधिक जागरूक बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। हम इस प्रोग्राम के जरिए उन्हें आत्मरक्षा के लिए जरूरी क्षमताओं से लैस करेंगे। इस ट्रेनिंग के बाद महिलाओं का आत्मस्वाभिमान भी बढ़ेगा ताकि वे खुद को कमजोर और अपमानित न महसूस करें। आत्मरक्षा के कौशल से सुसज्जित कोई भी व्यक्ति जरूरत पड़ने पर अपनी और दूसरों की रक्षा कर पाता है। दिल्ली पुलिस का प्रयास है कि शहर की महिलाएं और महिला चिकित्सा कर्मी न सिर्फ सुरक्षित रहें बल्कि वे हर तरह से सशक्त भी बनें और परिवर्तन प्रकोष्ठ इसी दिशा में प्रयासरत है।”