नई दिल्ली
दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है यह कहावत तो आपने सुनी होगी, लेकिन अगर यह कहा जाएं कि आपकी फीलिंग या भावनाएं दिल को दुरूस्त रखने में अहम भूमिका निभाती हैं तो भी गलत नहीं होगा। गुस्सा, चिड़चिड़ापन, जलन, खुश होना यहां तक कि किसी के प्रति प्रेम भी आपके दिल की सेहत से ताल्लुक रखता है। दरअसल भावनाएं सीधे रूप से हार्मोन्स को प्रभावित करती हैं और अच्छे हार्मोन्स दिल को दुरूस्त भी कर सकते हैं तो कुछ हार्मोन्स दिल की सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। इसलिए दिल की किसी भी तकलीफ के लिए डॉक्टर के पास जाने से पहले अपने दिल के दोस्त बनें, उसकी जरूरतों को पहचाने और एक अच्छे दिल के मालिक बनें।
विश्व हृदय दिवस पर इस बार हमने दिल की सेहत को लेकर नये सिरे से कुछ खोजने की कोशिश की, दरअसल अकसर लोग दिल के डॉक्टर के पास तब तक नहीं पहुंचते जबकि तक की बीपी की शिकायत न हों, कोलेस्ट्राल न बढ़ा हो और साथ ही जब तक कि दिल की धमनियां न सिकुड़ गई हों, जबकि सेहतमंद दिल की शुरूआत आपके जिंदगी के उतार चढ़ाव और उसके प्रति आपके रवैये के साथ जुड़ी हुई है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ़ तरूण कहते हैं कि निश्चित रूप से हैप्पी हार्मोन्स दिल के लिए संजीवनी हैं, जिनका उत्सर्जन भले ही दिमाग में होता है लेकिन यह सीधे रूप से हमारी भावनाओं से जुड़े होते हैं, इसमें सबसे प्रमुख हैप्पी हार्मोन एंड्रोफिन्स हैं जब आप खुश होते हैं, दोस्तों के बीच होते या फिर खुशियों को साझा करते हैं तो दिमाग में एंड्रोफिन्स का स्त्राव तेजी से बढ़ता है यह आपको गुड फील करता है और दिल को काफी हल्का महसूस होता है। सिरोटोनिन, डोपामिन के साथ ही ऑक्सीटोसिन को भी हैप्पी हार्मोन्स माना जाता है, जितना ज्यादा दिमाग में इनका उत्सर्जन होगा, आप उतने ही अधिक खुश रहेंगे और दिल उतना ही अधिक बेहतर रहेगा। ठीक इसके विपरीत एड्रेनालाइन गुस्से का हार्मोन है, तनाव, चिंता या फिर अवसाद की स्थिति में एड्रेनालाइन हार्मोन्स का तेजी से स्त्राव होता है जो बीपी बढ़ाने के साथ ही दिल की सेहत पर भी असर डालता है। लंबे समय तक इस हार्मोन्स के रिलीज या स्त्रावित होने से शरीर में टॉक्सिन या फिर विषैले हार्मोन्स की मात्रा बढ़ने लगती है और धीरे धीरे व्यक्ति अवसाद की स्थिति में चला जाता है। इसी तरह अनिश्चित डर के लिए कार्टिसोल हार्मोन को जिम्मेदार माना गया है कई बार कुछ व्यक्ति बेवजह के डर के साथ जीते हैं मसलन कल क्या होगा, मेरा मकान, मेरे बच्चे मैं सब कैसे करूंगा, विशेषज्ञ मानते हैं कि महिलाओं में इस तरह के डर की वजह मुख्य रूप से कार्टिसोल हार्मोन्स की वजह से होती है। नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉ़ ओपी यादव कहते हैं कि काफी हद तक हम नियमित दिनचर्या में सुधार करके दिल को दुरूस्त रख सकते हैं, अधिक गंभीर अवस्था जैसे वाल्व खराब होना, धमनियों में अधिक ब्लाकेज या हार्ट फेल हो जाने की स्थिति में सर्जरी की जरूरत होती है। इसके अतिरिक्त कंजेनाइटल या फिर लंबे समय से चली आ रही दिल की तकलीफ में चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, हार्मोन्स की वजह से होने वाली दिल की समस्या को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अधिक से अधिक खुद को समय से अच्छे दोस्तों का दायरा बढ़ाएं, वो एक कहावत अकसर काडियोलॉजिस्ट जिस पर विश्वास करते हैं, अगल दिल खोल दिया होता यारों के सामने तो नहीं खोलना पड़ता औजारों के सामने, ऐसे ही नहीं कही जाती है। सुख और दुख साक्षा करना हमारे दिल की सेहत से सीधे रूप से ताल्लुक रखता है।
दिल की बीमारी के लिए कुछ सुझाव
घर में यदि पहले से किसी को दिल की तकलीफ जैसे धमनियों में रूकावट या फिर वाल्व आदि की दिक्कत है तो दिल की तकलीफ जेनेटिक हो सकती है समय पर चिकित्सक से मिले
ब्लड प्रेशन की सामान्य स्थिति 130/85 एमजीडीएल माना गया है, जिसमें सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 130 व डायलोस्टिक का बिंदु 85 यानि उच्चतक या न्यूनतम् इससे अधिक नहीं होना चाहिए।
पुरूषों की कमर का घेरा 80 सेंटीमीटर से अधिक है तो दिल के लिए खतरे की घंटी है, नियमित 30 से 50 मिनट तक का व्यायाम दिनचर्या में जरूरी शामिल करें, मेडिटेशन को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
धुम्रपान धमनियों में संकुचन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना गया है, जिससे दिल की धमनियों में रूकावट आती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। सिगरेट का सेवन कम से कम करें
इसी तरह जंक फूड खून में कोलेस्ट्राल का स्तर बढ़ा देते हैं, जिससे नसों में खून का प्रवाह अवरूद्ध होता है। जिनता भी फैट आप खाएं उससे पहले उसे पचाने या एनर्जी बर्न करने के लिए तरकीब भी सोचे। बिना फैट बर्न किए, खाना सीधे रूप से मोटापे को दावत देना है।
नोट– जानकारी डायटिशियन डॉ़ सुनीत खन्ना द्वारा दी गई