सांस रोगों में इन्हेलर के साथ योग भी कारगर

Yoga can be Benificial in respiratory problems longs with regular medicine, Dr. Suruakant, Hod Pulmonary deptt KGMU Lucknow.

नई दिल्ली

अस्थमा व सांस सम्बन्धी बीमारियों में दवा के साथ योग व प्राणायाम बेहद कारगर है। यदि नियमित दिनचर्या में इसे शामिल किया जाये तो बीमारी की गम्भीरता से बचा जा सकता है.

यह जानकारी केजीएमयू रेस्पेरेटरी मेडिसीन विभाग के प्रमुख डा. सूर्यकान्त ने इन्डियन कॉलेज ऑफ अलर्जी, अस्थमा की 58वीं राष्ट्रीय कांफ्रेस में दी। दिल्ली में आयोजित इस सम्मलेन में डा. सूर्यकान्त ने सांस की बीमारियों के प्रबन्धन में योग की भूमिका पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि सांस की बीमारियों में इन्हेलर के साथ योग, प्राणायाम और ध्यान भी किया जाये तो काफी आराम मिलता है। कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। अस्थमा का अटैक नहीं आता है, जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है। इसके साथ ही इन्हलेर्स की डोज भी कम हो जाती है और फेफड़े की कार्यक्षमता में भी सुधार होता है। डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि सांस सम्बन्धी बीमारियों के लिए योग एक सहयोगी चिकित्सा है, लेकिन यह इन्हलेर्स का विकल्प नहीं है। सांस के रोगी इन्हेलर के साथ योग भी करें तो बीमारी को काबू कर कर सकते हैं। डॉ. सूर्य कान्त ने बताया कि अस्थमा में योग और प्राणायाम का प्रभाव विषय पर दुनिया की पहली पीएचडी तथा पोस्ट डाक्टरल फेलोशिप केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में उनके मार्गदर्शन में हुई तथा इस विषय पर 25 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं , जो कि इस विषय पर एक ही चिकित्सक द्वारा प्रकाशित किए गए शोध का विश्व रिकॉर्ड है।

इस मौके पर केजीएमयू के रेस्पेरेटरी मेडिसीन विभाग के प्रोफेसर डा अजय कुमार वर्मा ने एलर्जिक ब्रॉन्को पल्मोनरी एस्परगिलोसिस के बारे में बताया कि यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर फेफड़ों की बीमारी हैै। एस्परगिलोसिस एक प्रकार के मोल्ड (कवक) के कारण होने वाला संक्रमण है। एस्परगिलोसिस संक्रमण से होने वाली बीमारियां आमतौर पर श्वसन प्रणाली को प्रभावित करती हैं, लेकिन उनके लक्षण और गंभीरता अलग-अलग हो सकते हैं। बीमारियों को ट्रिगर करने वाला मोल्ड, एस्परगिलस, घर के अंदर और बाहर हर जगह मौजूद होता है। अधिकांश लोग के शरीर में एस्परगिलस सांस के जरिये प्रवेश कर जाते हैं, लेकिन वे बीमार नहीं पड़ते। लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों में इसके संक्रमण से गम्भीर स्थिति हो सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *