नई दिल्ली: इन दिनों दिल्ली में सांस लेने मतलब एक दिन में 20 सिगरेटों का धुआं शरीर के अंदर लेने जैसा हो गया है। ऐसे हालात में जरूरी है कि इस घने धुएं के कंबल में घिरे लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाई जाए। यह कहना है हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉक्टर के के अग्रवाल का। उन्होंने कहा कि अभी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर जिस लेवल पर उससे हर कोई प्रभावित है। चिंता की बात यह है कि सांस लेना हर किसी को है और हवा प्रदूषित है तो वहीं गंदी और प्रदूषित हवा सांस के जरिए बॉडी के अंदर तक जाएगी। अभी दिल्ली में प्रदूषण इतना है कि अगर आज भी कोई बच्चा पैदा हुआ है और उसने पहली सांस ली तो पूरे दिन में उसने भी 20 सिगरेट इतना धुआं अपने अंदर ले लिया ।
डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि परेशानी इसलिए ज्यादा है कि जब बच्चा पैदा होता है तो न केवल उसका बॉडी छोटा होता है बल्कि उसके अंग के साइज भी छोटे होते हैं। चाहे किडनी, लीवर हो या फिर लंग्स। लंग्स के साइज छोटे होने की वजह से वह पूरा काम नहीं कर पाता है और प्रदूषित हवा लेते रहेगा तो उसका लंग्स कमजोर हो जाएगा, वह समय के साथ डवलप नहीं होगा। आगे चलकर उस बच्चे को और भी दिक्कत हो सकती है। इस बारे में डॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि लंग्स आज ऐसे लोगों के भी काले हो रहे हैं जिन्होंने कभी सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाया है। जिसने सिगरेट कभी पीया ही नहीं है अगर उसका लंग्स काला हो जा रहा है तो कहीं न कहीं यह प्रदूषण की वजह से हो रहा है। इसलिए यह किसी इमरजेंसी से कम नहीं है, आम लोागें को अपनी सेहत के बारे में सोचना चाहिए और सरकार को भी इस पर ठोस कदम उठाने चाहिए।