नई दिल्ली,
दिल्ली में कोरोना के कुल पॉजिटिव मरीजों में पचास प्रतिशत मरीज ऐसे हैं, जिनमें इस बात का पता नहीं लग पा रहा है कि उन्हें कोरोना संक्रमण किसकी वजह से हुआ। एपेडिमिक डिसीस के चार चरण की स्थिति में इसे संक्रमण की चौथी स्थिति माना गया है, जिसमें मरीजों की ट्रैकिंग नहीं हो पाती है। मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कहा कि कम्यूनिटी स्प्रेड में अब स्क्रीनिंग की जगह पॉजिटिव मरीजों के इलाज पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने यह भी कहा कि दिल्ली में बाहरी लोगों को इलाज देने के एलजी की सहमति के बाद कोरोना मरीजों के लिए बेड की दिक्कत हो सकती है।
देश में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। इस मुद्दे पर मंगलवार को दिल्ली में पहली बार आपदा प्रबंधन की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें दिल्ली में कम्यूनिटी स्प्रेड की संभावना को स्वीकार किया गया है। अब सरकार किसी भी क्षेत्र में कोरोना के पॉजिटिव पाए जाने पर क्षेत्र को क्वारंटाइन या कंटेंमेंट क्षेत्र घोषित करने की जगह अस्पताल में पहुंचने वाले पॉजिटिव मरीजों के इलाज पर अधिक ध्यान देगी। स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कहा कि दिल्ली के कुल पॉजिटिव मरीजों में पचास प्रतिशत मरीजों की कांटेक्ट ट्रैकिंग नहीं हो पा रही है, एपिडेमिक डिसीस में इस स्थिति को चौथे चरण की स्थिति माना जाता है। इसमें अब हम बचाव की जगह इलाज पर ध्यान देगें। आपदा प्रबंधन की बैठक के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली में जुलाई तक 80 हजार बेड की आवश्यकता होगी। कम्यूनिटी स्प्रेड में क्या तैयारियां होनी चाहिए, इसको लेकर केन्द्र सरकार के साथ बुधवार को बैठक का आयोजन किया जाएगा। सत्येन्द्र जैन ने उपराज्यपाल के उस फैसले पर गंभीर चिंता जताई, जिसमें एलजी ने बाहरी मरीजों के दिल्ली में इलाज कराने को अनुमति दी है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एलजी का यह फैसला भाजना के दबाव में लिया गया, इससे दिल्ली के मरीजों को बेड की दिक्कत हो सकती है।