जानिए भारत में क्यों नही मिल पाई डेंगू वैक्सीन को मंजूरी

नई दिल्ली
डेंगू(Dengue) से बचाव के लिए फ्रेंच फार्मासियुटिकल कंपनी सनोफी (Sanofie) को सफलता मिली है। पन्द्रह देश के चालीस हजार लोगों पर किए गए परीक्षण के बाद तैयार की गई डेंगू की डेंगवैक्सिया वैक्सीन को यूएस एफडीए (USFDA) ने वर्ष 2015 में ही मंजूरी मिल गई थी जिसके बाद कंपनी के आवेदन पर यूएसएफडीए ने बायोलॉजिस्क्स लाइसेंस जारी किया, मंजूरी मिलने के बाद यूरोपियन कमिशन डेंगवैक्सिया के व्यवसायिक अधिकार भी दे दिया। लेकिन भारत में डेंगू के लिए फिलहाल किसी भी देश की कंपनी को एनओसी नहीं दिया गया। सूत्रों की माने तो वर्ष 2016 में डेंगवैक्सिया को प्रयोग की मंजूरी मिल सकती थी, लेकिन सब्जेट एक्सपर्ट (Subject Expert Committee )कमेटी ने वैक्सीन लगने की एक जरूरी मानक के कारण इसे फिलहाल रोक दिया।
भारत सहित लगभग सभी देशों में हर साल डेंगू का डंक देखा जाता है। यूएस टैरिटरी सहित प्यूरिटो, यूएस वर्जिन आइसलैंड और रिको में वर्ष 2012-13 में डेंगू के 12000 केस देखे गए, डेंगू के प्रकोप का हर सेहत के नजरिए से ही नहीं आर्थिक नजरिए से भी काफी नुकसान देह रहा। रिको देश में डेंगू के इलाज के लिए 160 मिलियन डॉलर इलाज पर खर्च किए गए। डेंगू के ग्लोबल बर्डन को कम करने के लिए सनोफी ने डेंगू वैक्सीन पर परीक्षण शुरू किया। सनोफी के नार्थ अमेरिका के मेडिकल हेड डॉ. डेविड ने बताया कि रिको सहित छह साल तक पन्द्रह देश के चालीस हजार मरीजों पर डेंगवैक्सिया का परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान देखा गया कि जिसको दोबारा डेंगू हुआ, उस पहले पहले सिरोटाइप की अपेक्षा दूसरे सिरोटाइप का असर अधिक गंभीर रहा, दूसरी बार हुए डेंगू के गंभीर असर और दोबारा संक्रमण के साथ ही सिरोटाइप को एंटी इम्यून (Anti-Immune) कर डेंगू के लिए वैक्सीन बनाने पर विचार किया गया। एफडीए की मंजूरी मिलने के बाद यूरोपियन कमिशन सनोफी की वैक्सीन को व्यवसायिक प्रयोग का लाइसेंस किया गया। लेकिन भारत में वैक्सीन का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं हो सका क्योंकि वैक्सीन 9-45 साल के उन्हीं लोगों को दी जा सकती है जिन्हें पहले कभी डेंगू हो चुका है। देश में वैक्सीन को लेकर गठित सब्जेट एक्सपर्ट कमेटी के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बात का पता लगाने के लिए कि किसी भी व्यक्ति को पूर्व में कभी डेंगू हुआ या नहीं इसका अभी तक किसी भी तरह का प्रमाणिक टेस्ट देश में उपलब्ध नहीं है। इसलिए डेंगू की वैक्सीन को फिलहाल प्रयोग की अनुमति नहीं दी जा सकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सनोफी को 2015 में भी डेंगवैक्सिया को प्रमाणित कर दिया था। विश्व भर मे पचास से अधिक देशों में डेंगू की वैक्सीन को प्रयोग की अनुमति दे दी गई है। भारत की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने सनोफी ने दोबारा अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने की बात कही है जिसमें शोध संबंधी आंकड़े और पूर्व में डेंगू जांच की प्रमाणित तकनीकि प्रस्तुत करने के लिए कहा है।

दिल्ली में नवंबर महीने में पांच हजार से अधिक मामले
दिल्ली में अक्टूबर महीने से ही लगातार डेंगू के मामले बढ़ रहे है। इस बावत जारी रिपोर्ट के अनुसार सितंबर में दिल्ली में डेंगू के 217, अक्टूबर में 1196 और नवंबर में बीस नवंबर तक 5591 मामले देखे गए। नवंबर महीने में डेंगू से अब तक नौ लोगों की मृत्यु हो चुकी है जबकि अक्टूबर में डेंगू की वजह से केवल एक मरीज की मौत हुई। मालूम हो कि डेंगू पैटर्न पर नजर डालें तो हर तीन साल में डेंगू देशभर में अधिक तीव्रता से असर करता है दिल्ली में इससे पहले वर्ष 2018 में डेंगू के अधिक मामले देखे गए थे।

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