नई दिल्ली,
देशभर में ट्रांसजेंडर को दी जाने वाली तमाम सुविधाओं में बदलाव के बावजूद यह तबका आज भी असमानता का जीवन जी रहा है। दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय ट्रांस केयर मेड एड सम्मेलन में ट्रांसजेंडर समुदायों की मेडिकल सुविधा और शिक्षा पर विचार विमर्श किया गया। सम्मेलन में कानूनविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और हितधारको की रायशुमारी से तैयार किए गए एक ड्राफ्ट को भी प्रस्तुत किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रांसजेंडर समुदाय की मेडिकल सुविधाएं बेहतर करने के साथ ही मेडिकल शिक्षा में भी इस समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
सम्मेलन में बोलते हुए भोपाल मध्यप्रदेश की ट्रांसजेंडर सर्जना राजपूत ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए जाने पर आज भी हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अस्पताल के चिकित्सक हमारा इलाज सामान्य मरीजों की तरह नहीं करते हैं, हंसी का पात्र बनने के साथ ही हमारी यौन इच्छाओं का भी मजाक बनाया जाता है, इन सभी चीजों से बचने के लिए हमें अपने गुरू और समुदाय के तय किए गए नियमों के अनुसार घरेलू इलाज ही शुरू कर देते हैं, जिसका कई बार नुकसान भी होता है। सरकारों के प्रयास से कुछ सुधार हुए हैं लेकिन ट्रांस जेंडर के इलाज की भी गोपनीयता का ध्यान रखा जाना चाहिए। देशभर में ट्रांसकेयर मेड एड परियोजना पर काम करने वाले संगत स्वयं सेवी संगठन ने कानूनविद्, विशेषज्ञों, सामाजिक काननू और अधिकारिता मामलों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस संदर्भ में एक ड्राफ्ट तैयार किया है। जिसमें ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को मेडिकल शिक्षा पाठ्यक्रम में प्राथकिता देने की बात कही गई। सम्मेलन में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन और सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय के अधिकारी भी उपस्थित थे। मालूम हो कि संगत स्वयंसेवी संगठन ने
शिकागो विश्वविद्यालय, बक्सबाम इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिक एक्सीलेंस, कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज (मणिपाल)के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें ट्रांसकेयर मेड-एड परियोजना के एक भाग के रूप में तैयार की गई दक्षताओं को साझा किया। सम्मेलन का आयोजन यूएनएआईडी, साथी, यूएनडीपी और पीईपीएफएआर के सहयोग से किया गया।