शुगर जांच को लेकर दिल्ली वाले लापरवाह हंै। परिवार में किसी सदस्य को डायबिटीज होने के बाद भी 87 प्रतिशत लोग शुगर जांच नहीं कराते। जबकि नियमित जांच और कुछ एहतियात बरती जाएं तो इन लोगों को डायबिटीज के खतरे को 70 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। शुगर जांच कराने में मुंबई की स्थिति कुछ बेहतर हैं जहां 9.3 प्रतिशत लोग छह महीने में एक बार जांच कराते हैं।
सनोफी डायबिटीज ब्लू नाइट और इंडिया पोल्ड सर्वे में डायबिटीज से जुड़े दस प्रमुख प्रश्नों पर लोगों की राय जानी गई। तीन साल तक तीन शहरों में हुए अध्ययन के परिणाम चौंकाने वाले रहे। फोर्टिस अस्पताल के सेंटर फॉर डायबिटीज के चेयरमैन डॉ. अनूप मिश्रा ने बताया उच्च आय वर्ग में डायबिटीज को लेकर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन मध्यम आय वर्ग के लोगों जांच कराने को लेकर सचेत नहीं है। इसमें बीमारी के खर्च की भी अहम भूमिका है, डायबिटीज के एक मरीज पर जांच व दवाएं मिलाकर प्रतिमाह 3000 से 4000 रुपए खर्च होते हैं। सर्वे में शामिल मध्यम आय वर्ग के 92.7 प्रतिशत लोगों ने शुगर जांच के लिए कभी घर पर ग्लूको मीटर का इस्तेमाल नहीं किया। दिल्ली के 45 प्रतिशत लोगों को डायबिटीज के कारण और उससे होने वाली बीमारियों की जानकारी नहीं है।