कुमार पुरेन्द्र: राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते केसेज के बीच, होम आइसोलेशन के नियमों में बदलाव हुआ है। अब कोविड-19 पॉजिटिव आने पर मरीज पहल कोविड सेंटर भेजे जाएंगे। वहां पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही होम आइसोलेशन में रहने की परमिशन दी जाएगी। अब दिल्ली सरकार ने होम आइसोलेशन में रहने वालों को पोर्टेबल पल्स ऑक्सीमीटर देने का फैसला किया है। इससे वे कुछ घटों के अंतराल पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक कर सकेंगे। एक बार मरीज ठीक हो जाए, फिर उसे पल्स ऑक्सीमीटर दिल्ली सरकार को वापस करना होगा।
पल्स ऑक्सीमीटर काम कैसे करता है और इससे कोरोना मरीजों को क्या मदद मिलेगी, आइए समझते हैं।
पल्स ऑक्सीमीटर एक छोटी सी डिवाइस होती जो मरीज की उंगली में फंसाई जाती है। इसे उसकी नब्ज और खून में ऑक्सीजन की मात्रा का पता चलता है। नॉर्मली इसका यूज सर्जरी के बाद पेशंट को मॉनिटर करने में होता है। सांस की बीमारियों से जूझ रहे मरीज भी इसे घर में रखते हैं। पल्स ऑक्सीमीटर का डेटा ये बताता है कि मरीज को एक्स्ट्रा ऑक्सीजन की जरूरत है या नहीं।
पल्स ऑक्सीमीटर दरअसल आपकी स्किन पर एक लाइट छोड़ता है। फिर ब्लड सेल्स के रंग और उनके मूवमेंट को डिटेक्ट करता है। जिन ब्लड सेल्स में ठीक मात्रा में ऑक्सीजन होती है वे चमकदार लाल दिखाई देती हैं जबकि बाकी गहरी लाल दिखती हैं। इन दोनों के अनुपाल के आधार पर मशीन ऑक्सीजन सैचुरेशन को पर्सेंटेज में कैलकुलेट करती है। यानी अगर मशीन 97% की रीडिंग दे रही है मतलब 3% रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन नहीं है।