नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की प्रमुख ने आज बताया कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के अज्ञात कारणों पर भारत में जल्दी एक वैश्विक अध्ययन कराया जाएगा जिसमें प्रयोगशाला की आधुनिक पद्धतियों का इस्तेमाल किया जाएगा। आईसीएमआर महानिदेशक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने बच्चों का स्वास्थ्य और मृत्यु पर रोकथाम के लिए निगरानी नाम से अध्ययन की नींव रखी थी जिसे देश में पायलट आधार पर एक या दो महीने में शुरु किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अध्ययन का उद्देश्य पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के कारणों को समझने का प्रयास करना है। भारत समेत अधिकतर देशों में समय पूर्व मृत्यु का सर्वाधिक बोझ पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर है। स्वामीनाथन ने कहा कि इसलिए इसकी रोकथाम महत्वपूर्ण है। पूरी दुनिया का ध्यान अब टीकाकरण, जल, स्वच्छता के स्तर में सुधार, एंटीबायोटिक्स तक पहुंच आदि अनेक तरीकों से इसे कम करने पर केंद्रित है। लेकिन जब तक हम बच्चों की जान लेने वाले कारणों को नहीं समझेंगे, हम एहतियातन कदम नहीं उठा सकते। जल्द ही जिनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्यक्रम उप महानिदेशक के रुप में पद संभालने जा रहीं आईसीएमआर महानिदेशक ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका, मोजांबिक और माली में यह अध्ययन पहले ही शुरु हो चुका है।
उन्होंने कहा कि अब यह बांग्लादेश और भारत में किया जाएगा। हम बहुत जल्द पायलट परियोजना यहां सफदरजंग अस्पताल में एक या दो महीने के अंदर शुरु करेंगे। अध्ययन के तहत केंद्र सरकार के अधीन आने वाला यह अस्पताल विशेषज्ञ दिशानिर्देश केंद्र के रुप में काम करेगा जहां बाल रोग विभाग के डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। आगे वे प्रशिक्षण दे सकेंगे।
सोर्स: भाषा