पोलियो वायरस के बाद अब बच्चों में डायरिया के कारक रोटावायरस पर रोकथाम लगाने की मुहिम शुरू हो गई है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स सहित इंटरनेशनल पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन ने देश के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में वैक्सीन को शामिल करने की बात कही है। ग्लोबल एलायंस फॉर वैक्सीन एंड इम्यूनाइजेशन वैक्सीन को कम दर में मुहैया कराने में मदद करेगा। इंटरनेशनल पीडियाट्रिक एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. नवीन ठाकर ने बताया कि रोटावायरस डायरिया का प्रमुख कारण है, जन्म के एक महीने के अंदर देश में प्रत्येक चार में एक बच्चा रोटा वायरस की वजह से मौत का शिकार हो रहा है। वायरस की रोकथाम के लिए सरकारी प्रयास अब तक केवल ओआरएस घोल देने तक सीमित हैं। जबकि छह महीने के नियमित टीकाकरण के जरिए वायरस के प्रभाव को पोलियो की तरह रोका जा सकता है। निजी कंपनियों की वैक्सीन हालांकि बाजार में उपलब्ध है, लेकिन अधिक महंगी होने के कारण यह सभी की पहुंच तक नहीं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि ने इस बावत बताया कि अंतराष्ट्रीय पब्लिक प्राइवेट संगठन (जीएवीआई) की मदद से देश में रोटा वायरस टीकाकरण शुरू किया जा सकता है। जिससे वैक्सीन की कीमत को बाजार की कीमत के अनुसार 80 फीसदी कम होगी। इस बावत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद कुमार पॉल कहते हैं कि हेपेटाइटिस बी की तरह टीकाकरण की कीमत का जिम्मा राज्यों को दिया जा सकता है। जिसकी कीमत पर सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाएगी।
कितना है बीमारी का असर
द पीडियाट्रिक इंफैशियस डिसीज जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार रोटा वायरस की वजह से देश में हर साल अकेले वर्ष 2009 में 5,27,000 बच्चों की मौत रोटावायरस की वजह से हुई। जिसमें 85 प्रतिशत बच्चे गरीबी रेखा से नीचे के परिवार के थे। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन व क्रिश्चिन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर ने ओरल रोटावायरस वैक्सीन की देश में जरूरत पर जोर दिया है।
क्या है रोटा वायरस
डायरिया का कारण वायरस प्रमुख पांच तरह के स्टेन के जरिए बच्चों की आंतों पर आक्रमण करता है। जन्म से छह महीने से भीतर असर करने वाले इस वायरस का संक्रमण गंदे पानी व अस्वच्छ प्रसव की वजह से पेट तक पहुंचता है। प्रस्तावित वैक्सीन की जन्म से 32 महीने तक दी गई, डोज वायरस को नियंत्रित कर सकती है। अब तक बाजार में 800 रुपए की कीमत में उपलब्ध वैक्सीन सरकारी कार्यक्रम में एक डॉलर प्रति वैक्सीन पर उपलब्ध होगी। लेकिन सरकार इसे निशुल्क देने पर विचार कर रही है।