नई दिल्ली,
महामारी के समय में भयंकर रूप से आर्थिक मंदी की मार झेल रहे लघु एवं मध्यम स्तर के व्यवसायियों के लिए जल्दी से जल्दी राहत पैकेज की घोषणा करने की मांग की गई है ।
एलीट वैश्य परिवार के अध्यक्ष एस.के.गुप्ता ने सरकार के उस आदेश को अतर्कसंगत और अमानवीय बताया है जिसमें व्यापारियों व उद्योगपतियों को लॉकडाऊन के दौरान कर्मचारियों का वेतन न काटने और उनकी आम जरूरतों का ध्यान रखने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा कि जब सरकार के पास 40 दिन तक टैक्स नही आया तो सरकार वेतन नही दे पा रही है। सरकार ने आज तक लघु एवं मध्यम स्तर के व्यवसायियों व उद्योगपतियों जिनके ऊपर इस लॉकडाऊन की सबसे ज्यादा मार पड़ी है के लिए अभी तक कोई राहत पैकेज तथा कल्याणकारी योजना की घोषणा तक नहीं की है । जबकि असलियत यह कि इस लॉकडाऊन व महामारी की सबसे ज्यादा मार लघु एवं मध्यम स्तर के व्यवसायियों पर ही पड़ी है । एक तरफ तो उनका धंधा व उद्योग चौपट हो गया है ऊपर से आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो गई है। एस.के.गुप्ता ने सरकार से मांग की है कि जल्दी से जल्दी इन लोगों के लिए राहत देने वाला कोई पैकेज या घोषणा करे जिससे उनके मुरझाते चेहरों पर कुछ रौनक आए। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि यदि सरकार कुछ शर्तों के साथ उद्योगों व व्यवसाय को खोलने की इजाजत दे दे तो न केवल लघु एवं मध्यम स्तर के व्यवसायियों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी बल्कि सरकार को अच्छा खासा राजस्व भी मिलेगा।
आज लॉकडाउन के तीसरे चरण में सरकार ने जो शराब, गुटका पान मसाला आदि नशे की दुकानों,जिसके पीने से शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, बहुत सी बीमारियां, आर्थिक, शारीरिक मानसिक, सामाजिक, पारिवारिक समस्याएं होती हैं जिस को खोलने का आदेश जारी कर दिया वो सारे सोशल डिस्टेंसिंग कानून को तोड़ते हुए लम्बी लम्बी लाइनों में खड़े होकर कोरोना की लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों को उनके राज्यो में भेजे जाने के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होना बहुत बड़ी महामारी की तरफ संकेत करता है।
ऐसी स्थिति में जहां के कापसहेड़ा में एक ही इमारत में रहने वाले करीब 60 लोगों का संक्रमित पाया जाना और संक्रमण का पता जांच के करीब दो सप्ताह बाद रिपोर्ट आने से पता चलना जैसे तथ्य चिंतित करते हैं। फिर प्रवासी मजदूरों को उनके राज्यों तक पहुंचाने की मुहिम जब तेज हो गयी है,तब अपने गृह राज्य पहुंचे या लौटते हुए कुछ मजदूरों का संक्रमित पाया जाना भी बहुत बड़ी चिंता की बात है। पहले से ही यह आशंका जताई जा रही है कि घर लौट रहे मजदूर अगर जांच में पॉजिटिव पाये जाते हैं तो, यह स्थानीय स्वास्थ्य तंत्र के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगा।
कोरोना से जंग में किए जा रहे प्रयासों को ठेंगा दिखाती और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाती इन तस्वीरों ने देश में कोरोना संक्रमण के मामले पहले के अपेक्षाकृत और ज्यादा होने की आशंका बढ़ा दी है। अगर ऐसा हुआ तो कोरोना फैलाने में तब्लीगी जमात के बाद शराबियों की भूमिका भी कमतर नहीं आंकी जाएगी। इसका बड़ा खामियाजा शराब न पीने वाले लोगों को भी भुगतना पड़ सकता है