नोएडा निवासी 45 राजलक्ष्मी को दो हफ्ते पहले पेट में तेज दर्द हुआ। दो से तीन घंटे बाद भी जब दर्द ठीक नहीं हुआ तो उन्होंने पेन किलर खा ली, लेकिन अगले ही दिन पेट में दर्द के साथ डायरिया भी हो गया। दिन में तीन से चार बार से अधिक मोशन की शिकायत पर पति ने नजदीक के कैलाश अस्पताल में दिखाया। जांच में पाया गया कि राजलक्ष्मी को पैंक्रियाटिक गैस्ट्रोइंटाइटिस हुआ है। जिसकी वजह से तेजी से पैंक्रियाज में बनने वाली टी सेल्स और शुगर का निर्माण कम हो रहा है। बताया गया कि यदि यही स्थिति रही तो हो सकता है वह डायबिटीज की भी शिकार हो जाए।
पेट की 80 प्रतिशत बीमारी को लोग नजरअंदाज करते हैं या फिर उनकी जानकारी गॉल ब्लेडर में पथरी या पेट में पथरी को लेकर सीमित रहती है। विशेषकर गर्मी में पेट की तकलीफों की सही जानकारी बेहद जरूरी है, जिसमें दूषित पानी और खाने का तुरंत असर आमाश्य संबंधी परेशानियों में दिखता है। अनियमित दिनचर्या और गलत खान पान की वजह से बीते पांच सालों में सिस्टिक फाइब्रोटिक, जीआई ट्रैक्स संक्रमण, पैंक्रियाटिक जीआई और लोवर जीआई और कोलाइटिस जैसी समस्याएं भी बढ़ी हैं, जबकि इसी बीच गट्स फ्लोरा को भी अपच या पेट दर्द का प्रमुख कारण माना जा रहा है।
पेट की गड़बड़ी लिवर से जुड़ी हैं-
पेट की अधिकांश परेशानियां लिवर से ताल्लुक रखती है। खाने में मौजूद वसा, प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेड को लैक्टोस या एनर्जी में बदलने का काम लिवर में बनने वाले एंजाइम्स की मदद से ही होता है। दूषित पानी और खाने का असर तेजी से लिवर को हेपेटाइटिस ई और ए का संक्रमण देता है। राममनोहर लोहिया अस्पताल के गैस्ट्रोइंटेलॉजिस्ट डॉ. एम वली के अनुसार पेट की 80 प्रतिशत बीमारियों का कारण हेपेटाइटिस ई होता है। जिसका स्त्रोत पाइप लाइन के जरिए घरों में होने वाली पानी की आपूर्ति को माना गया है। हेपेटाइटिस ई लिवर को प्रभावित करता हुआ जीआई या छोटी आंत और बड़ी आंत को संक्रमित करता है। वायरस के संक्रमण का असर रहने तक इसमें मरीज को पेचिस से राहत नहीं मिलती। वहीं एल्कोहल और अधिक तली हुई चीजें खाने पर होने वाली फैटी लिवर की परेशानी का असर भी पेट दर्द और अपच के रूप में दिखता है। नोवा अस्पताल के जीआई सर्जन डॉ. आशीष भनोट कहते हैं कि दिन में किसी भी एक समय खाली पेट या खाना खाने के बाद दर्द हो तो अल्ट्रासाउंड जांच करानी चाहिए। हालांकि बीमारी की सही पहचान लिवर फंक्शिनिंग जांच और इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड करना चाहिए जिससे छोटी और बड़ी आंत के संक्रमण का भी पता चलता है।
गट्स फ्लोरा भी है अहम
हमारे अमाश्य में पूरे शरीर के विभिन्न अंगों में उपस्थित माइक्रोआर्गेनिज्म की अपेक्षा 100 लाख गुना अधिक माइक्रोआर्गेनिज्म होते हैं, जिनका वजन एक किलो से भी अधिक होता है, यह वलय और रेशे के रूप में अमाश्य के अंदरूनी सतह पर मौजूद रहते हैं। इसे ही गट फ्लोरा कहा जाता है, यह बैक्टीरिया बड़ी और छोटी आंत में छिपकर बैठकर पाचन संबंधी क्रिया को नियंत्रित करते हैं। पाचन क्रिया के माध्यम से गट फ्लोरा में मौजूद बैक्टीरिया विटामिन बी और के को बनाते हैं, जो रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में भी सहायक है। गट बैक्टीरिया ही पेट के बुरे बैक्टीरिया से लड़ते हैं, और बुरे बैक्टीरिया को खत्म को पाचन क्रिया को स्वस्थ रखते हैं। पाचन क्रिया की यह तो रही सामान्य बातें, लेकिन खाना खाने की अनियमित आदतें, अधिक जंक फूड और एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक इस्तेमाल सामान्य गट बैक्टीरिया की प्रक्रिया को बाधित करके बुरे बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका देते हैं। एक सामान्य व्यक्ति के अमाश्य में पाचन क्रिया को सामान्य रखने के लिए 400 तरह के अच्छे बैक्टीरिया होने चाहिए।
कहीं कोलाइटिस तो नहीं
रॉकलैंड अस्पताल के गैस्ट्रोइंटोलॉजिस्ट डॉ. एमपी शर्मा कहते हैं छोटी और बड़ी आंत में जख्म को कोलाइटिस कहा जाता है। अधिक मसाले युक्त भोजन करने और वसा के अधिक इस्तेमाल से युवाओं में कोलाइटिस की समस्या अधिक देखी जाती है। इसके लक्षण पेट में दर्द के साथ ही मल में खून आने के रूप में दिखता है। एनस या मल द्वार के जरिए इंडोस्कोपिक जांच कर कोलाइटिस का पता लगाया जाता है। हालांकि इसे दवाआें से दूर किया जा सकता है लेकिन कई बार फायदा न होने पर सुक्ष्म सर्जरी की जाती है। डॉ. एमपी शर्मा कहते हैं कि पेट या अमाश्य में किसी भी बीमारी का असर दो से तीन हफ्ते के बीच में पाचन क्रिया पर पड़ता है, जिससे खाने के पौष्टिक तत्व एंजाइम्स की गड़बड़ी के कारण स्टार्च में नहीं बदल पाते।
कहीं पथरी तो नहीं-
गॉल ब्लेडर या किडनी में पथरी व ट्यूमर का असर भी पेट में दर्द के रूप में नजर आता है। जिसका समय रहते इलाज जरूरी है। गॉल ब्लेडर में पथरी का असर लिवर सिरोसिस के रूप में हो सकता है। जिसमें लिवर में बनने वाले बिलूरूबिन का स्त्राव प्रभावित होता है। पेट में दर्द होने के साथ ही यदि मरीज को पीलिया है तो सीधा आश्य है कि लिवर या गॉल ब्लेडर प्रभावित हो रहा है। वहीं लड़कियों में मासिक धर्म के पहले या बाद में असहनीय पेट दर्द और साथ में खून के थक्के पॉलिसिस्टिक ओवेरियन के कारण हो सकता है। जिसमें ओवरी में सिस्ट देखा जाता है।