कहीं आपका बच्चा भी डांसिंग-आई-एंड-फीट सिंड्रोम का शिकार तो नहीं

Portrait of girl

एक साल के आर्यन की आंखें स्थिर नहीं रह पाती थी। मेडिकल साइंस में इसे डांसिंग-आई-एंड-फीट सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। यह ऐसी बीमारी है जिसमें आंख, सिर, बॉडी और हाथ-पांव में अचानक झटके से आते हैं। यह बीमारी एक करोड़ लोगों में से एक को होती है। इसमें लंग्स और हार्ट की धमनियों के करीब ट्यूमर होने की वजह से परेशानी होती है। बच्चे में स्पाइन की हड्डी को प्रभावित करने वाले कैंसर ट्यूमर की वजह से आंखों की पुतलियां एक जगह स्थिर नहीं हो पा रही थीं। राजधानी के डॉक्टर ने नॉन इनवेसिव तकनीक से सर्जरी कर बच्चे की बीमारी को दूर करने में सफलता पाई है।
बीएलके सुपर स्पेशिएल्टी हॉस्पिटल के डॉक्टरों के पीडियाट्रिक और यूरोलॉजी विभाग के डॉ. प्रशांत जैन का कहना है कि पसली और स्पाइन के ट्यूमर (न्यूरो ब्लास्टोमा) का यह अपने आप में रेयर मामला है। इसकी वजह से आंखों पर भी पड़ रहा था। बच्चा एक जगह नजर नहीं टिका पा रहा था। शुरूआत में डॉक्टरों ने आर्यन के आई स्पेशलिस्ट को दिखाया, जबकि एमआरआई जांच में इस बात का पता चला कि हार्ट का अयोटा वाल्व, फेफड़े और स्पाइन की हड्डी के बीच बढ़ा हुआ ट्यूमर बच्चे की आंख पर इफेक्ट डाल रहा था। एकमात्र इलाज सर्जरी था।
डॉक्टर ने कहा कि एमआरआई जांच में यह पता चला कि बच्चा न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का शिकार है। आंखों की पुतली का कनेक्शन नर्व्स सिस्टम की ऑटो इम्यून से होता है, इसीलिए पसली के बीच स्थित ट्यूमर की कैंसर सेल्स न्यूरल टिश्यू आंखों को प्रभावित कर रहा था। ट्यूमर का पता लगाने के लिए पसली और रीढ़ की हड्डी की एमआरआई की गई। थ्री डायमेंशन जांच से ट्यूमर की सही जगह का पता लगा। डॉक्टर जैन का कहना है कि बच्चे की कम उम्र होने के कारण ओपन सर्जरी या चीरा लगाकर सर्जरी करना खतरनाक हो सकता था, इसलिए नेविगेशन तकनीक से पहले ट्यूमर की सही दिशा पता लगाया गया और फिर लेप्रोस्कोपिक प्रोसीजर की मदद से ट्यूमर को निकाला दिया गया। कैंसर ट्यूमर था, इसलिए सर्जरी के बाद भी एमआरआई की गई। पहले स्टेज में कैंसर होने के कारण ट्यूमर के साथ ही कैंसर सेल्स को भी निकाल दिया गया।

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