वायरल फीवर

हम अक्सर लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं कि उन्हें वायरल बुखार हो गया था। बहुत कम लोगों को ही ‘वायरल’ कहते सुना होगा। वायरल फीवर एक विशेष
प्रकार के वायरस की वजह से होने वाली एक अकेली बीमारी नहीं है। बल्कि यह कई वायरस की वजह से पैदा होने वाले कई बुखार वाले संक्रमण को दर्शाता है। हम उनका इलाज एक ही प्रकार से और एक समान ही करते हैं क्योंकि अगर बीमारी पैदा करने वाले वायरस पर ध्यान नहीं दिया जाये तो उनके लक्षण और इलाज एक समान ही होते हैं। वायरल फीवर दुनिया के सभी भागों में पाए जाते हैं और सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करते हैं। शुक्र है, कि इनमें से अधिकतर संक्रमण खुद तक ही सीमित होते हैं अर्थात वे अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। इसका मतलब यह नहीं हुआ कि हम कहना चाहते हैं कि वायरस गंभीर बीमारियां पैदा नहीं कर सकते। वास्तव में, डेंगू बुखार, चिकनगुनिया बुखार, और जापानी इन्सेफेलाइटिस सभी वायरस के कारण ही होते हैं। हालांकि, इनके जो आम लक्षण हैं, जिन्हें हम ‘वायरल’ कहते हैं, उन्हें घर पर ही स्वयं की कुछ देखभाल के साथ नियंत्रित किया जा सकता है।
लक्षण
वायरल संक्रमण का पहचान में आने वाले शुरुआती लक्षण अक्सर थकान और शरीर में दर्द होते हैं। उसके बाद बुखार की शुरुआत हो सकती है। ज्यादातर मामलों में बुखार के साथ- साथ श्वसन संबंधित लक्षण जैसे गले में खराश, नाक का बहना, नाक का जाम होना और आंखे लाल होना जैसे लक्षण हो सकते हैं। सिरदर्द भी वायरल संक्रमण का एक आम लक्षण है। कुछ मामलों मेें उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। ये लक्षण आमतौर पर, तीन से सात दिन में ठीक हो जाते हैं, हालांकि थकान लंबे समय तक बनी रह सकती है। अगर बुखार इस समय सीमा के भीतर ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी जाती है।
जांच
अधिकतर समय आपकेे चिकित्सक बुखार के वायरल होने की पहचान सिर्फ लक्षणों के आधार पर करते हैं और इसके लिए कोई विशेष परीक्षण की आवश्यकता नहीं होगी। कभी- कभी, जीवाणु संक्रमण का पता लगाने के लिए कुछ रक्त परीक्षण, थूक का कल्चर आदि की आवश्यकता हो सकती है।
इलाज
बुखार और शरीर में दर्द
बुखार और दर्द से राहत पाने के लिए किसी भी नाॅन- स्टेरायडल एंटी- इंफ्लामेट्री दवा (एनएसएआईडी) या एसिटामिनोफेन (पेरासिटामोल) का इस्तेमाल किया जा सकता है। कभी- कभी बुखार को कम करने के लिए दोनों के संयोजन को लेने की जरूरत पड़ सकती है। बच्चे, बुजुर्ग या किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित रोगी को चिकित्सक की सलाह के बगैर किसी भी दवा को लेने की सलाह नहीं दी जाती है। पेट के अल्सर या गुर्दे की बीमारी से पीड़ित, गर्भवती महिलाओं, और एस्पिरिन से एलर्जी वाले लोगों को इबुप्रोफेन लेने से बचना चाहिए। लीवर की बीमारी से पीड़ित और लंबे समय से शराब का सेवन करने वाले लोगों को एसिटामिनोफेन लेने से बचना चाहिए।
तरल का सेवन करें
बुखार के कारण काफी डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे आपको और अधिक थकान हो सकती है। इसलिए काफी मात्रा में पानी और साफ सूप का सेवन कर हाइड्रेटेड रहें। यदि आपको बुखार के साथ उल्टी और दस्त भी हो रहा है, तो काफी मात्रा में तरल पदार्थ पीना और अधिक भी महत्वपूर्ण हो जाता है। पानी में एक चुटकी नमक और एक चम्मच चीनी डालकर पीने से आपके इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई होगी।
खांसी और सर्दी
वायरल फीवर के साथ खांसी और सर्दी होने पर इससे राहत पाने के लिए गर्म खारे पानी से कुल्ला करना और भाप लेना सबसे उपयोगी उपाय है। जाम नाक को खोलने के लिए कुछ नेजल डीकंजेस्टैंट की जरूरत पड़ सकती है। आप काउंटर पर उपलब्ध सैलाइन नैजल ड्राॅप्स का उपयोग कर सकते हैं।
चूंकि एंटीबायोटिक दवा वैसी दवा होती है जो बैक्टीरिया से लड़ती है, वायरस से नहीं। इसलिए यदि आपको वायरल फीवर है तो इसे लेने पर आपको बेहतर महसूस करने में कोई मदद नहीं मिलेगी। एक आम धारणा है कि अगर आपको खांसी के साथ थूक आती है तो यह जीवाणु संक्रमण को इंगित करता है। ऐसी धारणा के कारण या यदि बुखार तीन से चार दिनों में ठीक नहीं होता है, तो लोग खुद ही एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन कर लेत हैं। ऐसी प्रवृत्ति शरीर को संभावित जीवन रक्षक एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बनाकर काफी नुकसान पहुंचा सकती है।
वायरल फीवर को रोकें
दुर्भाग्य से, वायरल फीवर को रोकना आसान नहीं हैं। उनमें से अधिकांश बुखास अत्यधिक संक्रामक होते हैं और एक बार एक लहर शुरू हो जाने पर काफी लोगों में संक्रमण फैलता चला जाता है। कुल मिलाकर, दोबारा वायरल फीवर को होने से खुद का बचाने के लिए स्वच्छ रहन- सहन और एक अच्छी प्रतिरक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण है। यहाँ हम कुछ उपाय बता रहे हैं जो आपके लिए उपयोगी साबित होंगे:
— जब आप खांसते या छींकते हैं तो एक रूमाल या टिश्यू पेपर से अपने मुंह और नाक को ढक लें। यह न केवल अच्छे संस्कार है बल्कि अपने दोस्त और पड़ोसी की संक्रमण से रक्षा करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है।
— खांसी, सर्दी या बुखार वाले लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें।
— अक्सर हाथ धोना संक्रमण को नियंत्रित करने के सबसे महत्वपूर्ण उपायों मेे से एक उपाय है।
— अच्छी तरह हवादार घरों और कार्यालयों में संक्रमण का प्रसार कम होता है।
एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली वायरल संक्रमण से बचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इसे एक समग्र स्वस्थ आहार और उचित जीवन शैली से हासिल किया जा सकता है। अत्यधिक तनाव प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने के लिए जाना जाता है।
डॉक्टर को कब दिखाएं
अधिकत वायरल बुखार में अस्पताल में भर्ती नहीं होने या यहां तक कि डॉक्टर के पास जाने की भी जरूरत नहीं पड़ सकती है। लेकिन कुछ वायरल संक्रमण गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं और कभी कभी घातक भी हो सकते है। सामान्य रूप से, पांच साल से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गों (65 वर्ष से अधिक उम्र के), किसी भी पुरानी बीमारी से पीड़ित, और गर्भवती महिलाओं को बुखार होने पर डाॅक्टर को अवश्य दिखाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *