नई दिल्ली
थॉयरायड के मरीजों के लिए एक अच्छी खबर है। थॉयरायड के लक्षण, जांच, क्या करें क्या न करें, इससे जुड़ी अन्य समस्याएं और समाधान की जानकारी यू एंड योर थॉयरायड किताब में शामिल की गई। बीएलऐ-मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल और दिल्ली डायबेअिक रिसर्च सेंटर के सहयोग से शनिवार को कांस्टीट्यूशनल क्लब में इस किताब का औपचारिक विमोचन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बीएलके-मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के हार्ट एंड वास्कुलर विभाग के पमुख डॉ टीएस क्लेर उपस्थित थे। इस अवसर पर गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन डॉ डीएस राना, सहित कई वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित थे। एम्स के एंडोक्रायनोजॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ राजेश खड़गावत और प्रोफेसर विनोद कुमार द्वारा किताब में प्रस्तावना संदेश लिखा है।
यू एंड योर थॉयरायड किताब के लेखक और बीएलके-मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के डायबिटिज, थॉयरायड, ओबेसिटी और इंडोक्रायनोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ एके झिंगन ने बताया थॉयरायड के अधिकांश मरीजों को बीमारी को लेकर कई तरह की दुविधा और प्रश्न होते हैं। उदाहरण के लिए थॉयरायड की कितनी दवा ली जाएं, कब ली जाएं, क्या सावधानी बरती जाएं, जांच कब करानी है। एक अहम समस्या यह भी देखी गई कि थॉयरायड नार्मल आने पर मरीज दवा छोड़ देते हैं, जिसके बाद कई अन्य समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। इन मरीजों को अन्य कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डायबिटिज, गाइनोकोलॉजिकल, त्वचा व दिल आदि की समस्याएं होने का खतर अधिक होता है। थॉयरायड की स्थिति में गर्भधारण में भी समस्या देखी गई हैं।
डॉ झिंगन ने बताया कि किताब में थॉयरायड से जुडे सभी सभी पहलूओं को शामिल किया गया है। बीमारी की कितनी व्यापकता है? कब जांच होनी चाहिए आदि, दवा कितनी और कब लेनी चाहिए आदि। थॉयरायड की दवा सुबह खाली पेट लेनी चाहिए और पचास मिनट तक कुछ नहीं खाना चाहिए, जबकि अकसर मरीज दस से पन्द्रह मिनट में कुछ न कुछ खा लेते हैं। अधिकतर मरीज जिस दिन थॉयरायड जांच कराने जाते हैं उस दिन दवाई नहीं खाते हैं। हाइपो थॉयराडिज्म की दवाई सुबह खाली पेट ही लेनी चाहिए, जबकि हाइपर थॉयराडिज्म की दवा कभी ली जा सकती है। थॉयरायड की जांच सुबह नौ बजे से पहले ही करानी चाहिए, जिससे जांच प्रभावित नहीं होती। रेंडम या दिन में कभी भी जांच कराने पर रिपोर्ट सही नहीं आती। दवाओं की डोज या मात्रा भी मरीजो को खुद कम नहीं करनी चाहिए आदि इस सभी विषयों को लेकर अब तक ऐसी कोई किताब नहीं थी, जिससे मरीजों को एक ही किताब में पूरी जानकारी मिल सकें।
वजन बढ़ जाना, थकान सुस्ती, ठंड अधिक लगना, कब्ज, त्वचा सूखना आदि लो थॉयरायड (हाइपोथॉयरडिज्म) के लक्षण हैं। इसके विपरीत वजन कम होना, घबराहट, ज्यादा गर्मी लगता, दस्त, थकान और बेचैनी आदि थॉयरायड बढ़ने (हाइपर थॉयराडिज्म) के लक्षण हैं। कई बार नॉड्यूल्स बढ़ने पर आवाज भारी हो जाती है यह भी लक्षण अनियंत्रित थॉयरायड के हो सकते हैं। यू एंड योर थॉयरायड किताब में थॉयरायड हार्मोन के सभी पहलूओं को शामिल किया गया, मरीजों की समस्याओं को ध्यान में रखकर लिखी गई किताब को साधारण भाषा में लिखा गया है।