
- जर्नल रेस्पेरेटरी मेडिसिन में प्रकाशित हुआ शोध
नई दिल्ली
सीओपीडी यानि क्रानिक अब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (Chronic Obstructive Pulmonary Disease), जिसमें फेफड़े धीरे धीरे काम करना बंद कर देते हैं, इसकी गंभीर अवस्था की पहचान दिल की एक अहम जांच से संभव है। जी हां आपने सही सुना दिल की एक जांच इस बात का पता लगती है कि मरीज सीओपीडी की बीमारी कितनी गंभीर है? दिल की धमनियों या आर्टिज की कार्डियो वॉस्कुलर इंडेक्स एक ऐसा मानक है जिससे फेफेड़ो की शुरूआती तकलीफ का पता लगाया जा सकता है, जिसे सीओपीडी के नाम से जाना जाता है। सीओपीडी फेफड़ों की एक सामान्य बीमारी है, जिसमें फेफड़े सिकुड़ने की वजह से मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है, फेफड़ों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए मरीज को इंहेलर पर रखा जाता है। लेकिन हाल ही में मेडिकल जर्नल रेस्पेरेटरी मेडिसिन में एक अहम शोध प्रकाशित हुआ है। जिसमें दिल की जांच से इस बीमारी का शुरूआती चरण पता लगाने में मदद मिल सकती है।
कावी (कार्डियो एंकल वॉस्कुलर इंडेक्स, Cardio- Ankle Vascular Index) को इस संदर्भ में सहायक इंडेक्स माना गया है। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ के रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ सूर्यकांत ने बताया सीओपीडी के मरीजों में बीमारी का चरण गंभीर अवस्था में पहुंच गया है या नहीं इसका पता लगाने के लिए दिल का कावी इंडेक्स काफी सहायक हो सकता है। अध्ययन में देखा गया कि सीओपीडी के मरीजों की कावी जांच करने में इंडेक्स काफी बढ़ा हुआ देखा गया। शोध में मरीजों को दो श्रेणी में रखा गया, पहली श्रेणी के मरीजों की सीओपीडी के मरीजों का कावी एसेसमेंट किया गया, जबकि दूसरी श्रेणी के मरीजों का कावी मार्कर जांच में नहीं शाामिल किया गया, मालूम हो कि कावी दिल की मांसपेशियों की स्टीफनेस या मांसपेशियां लचीली हैं या सख्त, इस बात का पता लगाती है, इसके साथ ही यह सीओपीडी की गंभीर अवस्था का पता लगाने में भी सहायक होती है।
दिल की मजबूती का पता लगाती है कावी
सामान्य स्थिति में कावी को दिल की मांसपेशियों और धमनियों की मजबूती का लगाने के लिए किया जाता है। इस अध्ययन से सीओपीडी के शिकार मरीजों के एक नई दिशा सुनिश्चित होगी। सीओपीडी के सामान्य इलाज के साथ यदि कावी को भी एकीकृत कर दिया जाएं तो मरीजों के लिए बेहतर इलाज की दिशा तय की जा सकती है। अभी यह जांच सीओपीडी के मरीजों में वैकल्पिक जांच के तौर पर की जाती है, जबकि इससे इलाज की सटीकता फेफड़ों में वायु प्रवाह और सीओपीडी की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है।