नई दिल्ली, सेहत संवाददाता
अस्पताल, पोस्टमार्डम हाउस या फिर लैबोरटरी में पहुंचने वाले बिना नाम के सैंपल को अब शोध कार्य के लिए काम में लाया जा सकेगा। केंद्रीय स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय कहा है कि मरीजों के इलाज के दौरान या शल्य चिकित्सा प्रक्रिया के बाद बिना पहचान वाले नमूने बच जाते हैं, बचे हुए सेंपल के नैतिक या वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए अब दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। मंत्रालय ने कहा कि अस्पतालों में बड़ी मात्रा में उपलब्ध इस तरह के नमूने अनुसंधान और शोध कार्य के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं।
इन नमूनों में मानव अंग, कोशिकाएं, ऊतक, कोशिका उत्पाद जैसे रक्त, मूत्र, लार, डीएनए, आरएनए बाल, शरीर के अन्य द्रव्य, आईवीएफ क्लीनिक और अंगदान केंद्र समेत अन्य केंद्र हो सकते हैं। इन नमूनों का प्रयोग बीमारी का निदान विकसित करने, नवोन्मेष करने या फिर किट का विकास करने, बीमारी के कारण पता करने और ऐसे उन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यह नमूने पूरी तरह बिना पहचान वाले या फिर बचे जैविक नमूने हैं जो विशेष रूप से अन्य किसी अनुसंधान या शोध कार्य के उद्देश्य के लिए नहीं रखे गए हैं, ऐसे नमूनों की पहचान के लिए सघनता से की जाएगी, जिसके बाद इनका शोध कार्य के लिए प्रयोग किया जा सकेगा।