मिर्गी दिवस पर विशेष (Epilepsy Day Special)
महिमा तिवारी
सिर में लगी चोट को हल्के में न लें। चोट से उबरने के कुछ समय बाद भी अगर बेहोशी, चक्कर या झटके आ रहे हो तो ध्यान दें। यह मिर्गी यानी एपिलेप्सी की बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। पहले जहां अधिकांश बच्चे ही इसका शिकार होते थे वहीं अब युवा वर्ग भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो सिर की चोट व ब्रेन स्ट्रोक इसकी बड़ी वजह हैं।
लोगों में मिर्गी के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। केजीएमयू किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डा.आर.के. गर्ग का कहना है कि मिर्गी एक आम लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या है। देश में लाखों लोग इससे जूझ रहे हैं। उनकी मानें तो मिर्गी के मामलों के बढऩे की एक मुख्य वजह सडक़ हादसे भी हैं। उनका कहना है कि कई युवा तेज गति से बाइक चलाते हैं और हेलमेट भी नहीं लगाते। इस कारण जब वह सडक़ हादसे का शिकार होते हैं तो उनके सिर में सबसे ज्यादा चोट लगती है। यदि सिर में लगी किसी गंभीर चोट को नजरअंदाज किया जाता है तो यह आगे चलकर मिर्गी की वजह बन सकती है। करीब 20 फीसदी लोगों में ब्रेन इंर्जरी के बाद मिर्गी की समस्या होने का खतरा होता है। वहीं ब्रेन स्ट्रोक के कारण जब दिमाग तक खून का प्रवाह रुक जाता है या ब्लीडिंग होती है, तो स्ट्रोक होता है। यह मिर्गी के दौरे का कारण बन सकता है। इसके अलावा न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस यानि यह बीमारी सुअर के मांस में पाए जाने वाले कीड़ों या गंदगी के कारण होती है। गंदे पानी या बिना साफ किए हुए फल-सब्जी खाने से भी यह दिमाग में पहुंच सकता है, जिससे मिर्गी हो सकती है। मिर्गी के दौरे पडऩे के अन्य भी कई कारण हैं। अगर किसी के परिवार में दौरे पड़ते हो तो इसके ज्यादा चांसेस होते हैं कि उसके जींस की वजह से दूसरों में या बच्चों में यह दौरे पडऩे की संभावना बढ़ जाती है। मिर्गी का एक कारण आनुवांशिक भी है। मां के गर्भ में या प्रसव के दौरान किसी वजह से मस्तिष्क में खून या आक्सीजन की आपूर्ति न होने के कारण बच्चों में यह समस्या हो जाती है। उनका कहना है कि मिर्गी का इलाज पूरी तरह से संभव है, अगर समय पर ध्यान दिया जाये। इसके लिए जरूरी है कि समय रहते इसके लक्षणों को पहचान कर उपचार शुरू किया जाये। डा गर्ग का कहना है कि मिर्गी के दौरे के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे – अचानक झटके या मरोड़ आना, बेहोशी या गिर पडऩा, जुबान कट जाना या झाग आना, किसी एक अंग का अकड़ जाना, नजरें स्थिर हो जाना और बोलने-समझने में कठिनाई होना। अगर ऐसी स्थिति बार-बार हो रही है तो गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मिर्गी के 60-70 फीसदी मरीजों को दवा के जरिए ही ठीक किया जा सकता है। कुछ विशेष परिस्थिति में सर्जरी की जरूरत भी पड़ती है। इस बीमारी में जो सबसे जरुरी चीज हैं, वह यह कि नियमित रूप से इसकी दवाई जरुर लें। साथ ही पर्याप्त नींद लें।