डॉक्टरों ने 16 साल से सीने में फंसी बुलेट को निकाला

Doctors of Max Hospital, Saket removed the bullet stuck in the chest for 16 years.

नई दिल्ली,

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के डॉक्टरों ने 16 साल से बाएं फेफड़े में फंसी बुलेट निकालकर कानपुर के 45 वर्षीय व्यक्ति की जान बचाई है। कानपुर के शैलेंद्र सिंह को 2008 में गोली लगी थी और तब से वह दिल के नजदीक फंसी बुलेट के साथ ही जी रहे थे। पिछले कुछ दिनों से इस बुलेट के कारण कुछ जटिलताएं पैदा होने लगी थीं, जिससे उनके जीवन को खतरा था।
सीने में दर्द और खांसी में खून आने की शिकायत के बाद शैलेंद्र सिंह मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत आए थे। उन्होंने बताया कि 2008 में उन्हें गोली लगी थी और तब से उनके दिल के नजदीक ही बाएं फेफड़े में बुलेट फंसी रह गई थी। बीते वर्षों में उन्होंने कानपुर के कई चिकित्सकों से बात की, लेकिन स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए सभी ने उन्हें सर्जरी न कराने की सलाह दी थी। उन्हें नॉन-सर्जिकल ट्रीटमेंट मिलता रहा और इतने वर्ष बिना किसी परेशानी के बीत गए।
हालांकि पिछले एक साल से उन्हें सीने में तेज दर्द और खांसी में खून आने की परेशानी होने लगी थी। समय के साथ लक्षण खराब होते जा रहे थे।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के थोरेसिक सर्जरी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉक्टर शैवाल खंडेलवाल के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने उनकी स्थिति को परखा और बुलेट तथा फेफड़े का क्षतिग्रस्त हिस्सा सर्जरी कर निकाल दिया।
इस बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. शैवाल खंडेलवाल ने कहा, ‘एक साल पहले तक मरीज में कोई लक्षण नहीं था। पिछले साल से सीने में दर्द और खांसी में खून आने के लक्षण दिखने शुरू हुए थे। खांसी में खून की मात्रा बढ़ती जा रही थी। तब उन्होंने हमसे परामर्श किया और सीटी स्कैन से पता चला कि बुलेट उनके बाएं फेफड़े में फंसी है। उन्हें सर्जरी का सुझाव दिया गया। हमारे सुझाव के बाद वह वापस अपने गृहनगर गए और वहां कुछ अन्य चिकित्सकों की राय भी ली। इस दौरान खांसी में और भी ज्यादा खून आने लगा, तब उन्होंने तुरंत हमसे संपर्क किया और यहां भर्ती हो गए।’
डॉ. खंडेलवाल ने आगे कहा, ‘ब्रोंकोस्कोपी से पता चला कि बुलेट उनके एयरवे पर दबाव डाल रही है और फेफड़े के लेफ्ट अपर लोब से खून बह रहा है। बुलेट और फेफड़े के क्षतिग्रस्त हिस्से को निकालने के लिए तत्काल सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद उनकी स्थिति में काफी सुधार हुआ है।’
डॉ. खंडेलवाल ने बताया कि अक्सर खतरनाक हिस्से में फंसी बुलेट के कारण अगर कोई लक्षण न दिखे, तो सर्जरी नहीं की जाती है। कभी-कभी बुलेट के कारण रिएक्शन होता है और इससे कुछ परेशानियां होने लगती हैं, जैसा इस मरीज के मामले में देखने को मिला।
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा बहुत दुर्लभ मामले में ही देखने को मिलता है, जब बहुत लंबे समय से सीने में फंसी बुलेट के कारण अचानक जानलेवा तरीके से खून बहने लगे। ऐसे में जीवन बचाने की कोशिश के रूप में सर्जरी की जाती है और पूरे फेफड़े को भी हटाना पड़ जाता है। इनके मामले में हमने बस खून बहने के कारण को और फेफड़े के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाया।’
मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है और वह घर पर रहकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।

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