दिल्लीवासियों के लिए, रविवार की सुबह उन बुजुर्गों को दौड़ते हुए देखना वाकई प्रेरणादायक था जिन्होंने घुटने बदलवाने की सर्जरी कराई थी और इसके बावजूद उनके जोश में कोई कमी नहीं दिख रही थी। शहर के 1000 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों के बीच में, 15 ऐसे वरिष्ठ नागरिकों का एक छोटा सा समूह था जो एयरटेल देल्ही हाफ मैराथन 2016 में भाग लेने के लिए जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में सुबह एक साथ इकट्ठा हुआ। सभी 15 प्रतिभागियों में एक आम बात थी। उन सभी ने घुटने बदलवाने की सर्जरी (टोटल नी रिप्लेसमेंट) कराई थी। सर्जरी करने वाले मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के ऑर्थोपेडिक्स एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के निदेषक डॉ. रमणीक महाजन ने भी उनके साथ इस दौड़ मंे भाग लिया और खुद को एक भागीदार के रूप में पेश करते हुए तेज चलते हुए उनके साथ महत्वपूर्ण दूरी तय की। डॉ. रमणीक ने कहा, ‘‘हालांकि वांछित दूरी तय करने के बाद शायद ही उनमें से किसी की सांस उखड़ रही थी, लेकिन उन्हंे हांफते हुए बोलते और आनंद लेने के लिए उनके मनोबल और इच्छा को दखना विस्मयकारी था।’’
15 धावकों में षामिल 70 वर्शीय ए सी चावला ने कहा, ‘‘इस साल के मैराथन में हिस्सा लेकर मैं बहुत खुष हूं। मेरा मानना है कि घुटने बदलवाने की सर्जरी कराने का मेरा फैसला सही था।’’ ‘‘सेलेब्रेरिंट एज’’ के तत्वाधान में आयोजित इस मैराथन में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने इन 15 धावकों की हौसला अफजाई की। 63 वर्शीय आदर्ष गुप्ता कहते हैं, ‘‘पहले मेरा चलना फिरना सीमित था और मुझे रोजमर्रे के काम-काम करने में काफी दिक्कत होती थी। घुटने बदलवाने की सर्जरी ने मुझे पुराने दिनों को वापस पाने तथा अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों को कर पाने की उम्मीद दी।’’ सभी प्रतिभागी जोष एवं उत्साह से भरे हुए थे क्योंकि वे अब अपने पैरों पर फिर से खड़ा हो चुके थे।
नी रिप्लेसमेंट सर्जरी घुटने के दर्द से निजात दिलाती है और रोगी को फिर से सक्रिय जीवन जीने में सक्षम बनाती है। विषेशज्ञ सर्जरी के बाद पूरे शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और वजन को संतुलित रखने की सलाह देते हैं। मांसपेशियां जितनी अधिक मजबूत होंगी, जोड़ पर उतना ही कम बल पड़ेगा, क्योंकि मांसपेशियां बल को अवशोषित कर लेती हैं, सामान्य गतिषीलता को बनाये रखती हैं और जोड़ को सुरक्षा प्रदान करती हैं। डॉ. रमणीक बताते हैं, ‘‘मरीज को घुटना बदलवाने के बाद सक्रिय जीवन शैली की ओर लौटने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। लेकिन इसे ज्यादा नहीं करें। ऐसे लोगों को घुटने पर दबाव डालने वाली गतिविधियों से बचना चाहिए। तेज चाल से चलना एक अच्छी गतिविधि है। घुटनों के लिए जॉगिंग जैसी अधिक प्रभाव डालने वाली गतिविधियों से बेहतर तेज चाल से चलना है।’’