पूजा सिंह,
कोलकाता: लटका हुआ पेट, बुरा लगता है। पर्सनालिटी को खराब करता है, आप चिंतित भी रहते हैं, लेकिन आप इससे छुटकारा पाने के लिए कुछ नहीं कर पाते और लगातार यह पेट बढ़ता जाता है और आप मोटापे के शिकार हो जाते हैं। यह मोटापा आपको बीमार भी करता है। एक साथ कई बीमारी को जन्म देने वाला मोटापा आपको भी बीमार कर सकता है, इसलिए समय रहते अपने लाइफ स्टाइल को बदलें और हेल्दी रहें। डॉक्टरों के अनुसार 30 मिलीयन भारतीय लटके हुए पेट यानि मोटापे के शिकार हैं जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। पेट के मोटापे, हाई ट्रिग्लिसीराईड, अच्छे कोलेस्ट्रॉल की कमी, उच्च रक्तचाप और हाई ब्लड शूगर की वजह से होने वाले मेटाबालिक सिंड्रोम के मामले देश में उच्चतम सीमा तक पहुंचा चुके हैं और लागातार बढ़ते जा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह जीवनशैली की आदतें हैं, जिनमें ज़्यादातर हाई ट्रांस फैट, चीनी और कोलेस्ट्रॉल वाला भोजन, बंद स्थानों में घंटों काम करना और कोई व्यायाम ना करना और सिगरेट-शराब जैसी बुरी आदतों पर निर्भर होना है। मोटापे को नई जानलेवा बीमारी माना जाने लगा है। यह युवाओं में लंबी बीमारियों जैसे दिल के रोग, डायबिटीज और रक्तचाप में गड़बड़ी जैसी बीमारियों का कारण बन रहा है। मोटापा केवल युवाओं और बालिगों में ही नहीं बच्चों में भी फैलता जा रहा है। बच्चों में शारीरिक गतिविधियों में भाग न लेने, अस्वस्थ खानपान की आदतें, सुविधाजनक खाने की चीज़ों पर निर्भरता और हार्मोनल कारणों से वज़न बढ़ जाता है। इस बारे में डॉक्टर के के अग्रवाल का कहना है कि बहुत कम लोग जानते हैं कि अगर खानपान की आदतों और वज़न पर नियमित तौर पर निगरानी रखी जाए तो मोटापा टाला जा सकता है। इस लिए सबसे पहला कदम स्वस्थ खानपान अपना कर उठाना चाहिए, जिसमें प्रोसैस्ड फूड और सुविधाजनक खाने की चीज़ों का सेवन कम करना शामिल है, क्योंकि इनकी वजह से शरीर में बुरा कोलेस्ट्राल जमा होने लगता है। डॉक्टर के अनुसार एक संतुलित आहार में सभी पांच रगों और विटामिन व खनिज पदार्थों वाले आहार होने चाहिए जो कि हमारे शरीर को बेहतर काम करने और बीमारियों के खिलाफ कवच बनाने के लिए तैयार करते हैं। दूसरे नम्बर पर खाने के आकार का आता है। छोटे-छोट आहार थोड़ी थोड़ी देर बाद लेना सही संतुलन बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही नियमित व्यायाम का निश्चित कार्यक्रम तय होना चाहिए क्योंकि शारीरिक गतिविधियां हमारे शरीर को लचकीला बनाए रखती हैं और जोड़ों के दर्द और हड्डियों को टूटने से बचाती हैं। इन बातों का रखें ध्यानः : स्वस्थ खानपान अपनाएं। सेहतमंद खाना चुने, अपने और अपने परिवार की कैलरीज़ की ज़रूरतों को ध्यान में रखें और शरीर को मिलने वाली और खर्च होने वाली उर्जा में संतुलन बनाने पर ध्यान केंद्रित करें।
:खाने की मात्रा पर ध्यान दें। फास्ट फूड और अन्य रेस्तरां में एक बार में दिए जाने वाले खाने की मात्रा देखें। जितना खाना परोसा जाता है वह दो या तीन लोगों के लिए काफी होता है। बालिगों के मुकाबले बच्चों के खाने की मात्रा कम होनी चाहिए। खाने की मात्रा में कटौती करने से शरीर में जाने वाली और खर्च होने वाली उर्जा में संतुलन बनेगा।
: चुस्त फुरत रहें। निजी और पारिवारिक समय को फुर्तिला बनाएं। ऐसी चीज़ें करें जिसमें सब को मज़ा आए। चुस्त सैर के लिए जाएं, साईकिल चलाएं या रोलरब्लेड, और मिल कर चलना और सैर करना सीखें।
: सक्रीन टाइम कम करें। टीवी, कम्पयूटर, डीवीडी, वीडियो गेम्ज़ आदि पर बिताए जाने वाले समय की सीमा तय करें। अपने वज़न, बॉडी मास इंडैक्स और कमर के घेरे का ध्यान रखें। अपने बच्चों की ग्रोथ पर भी नज़र रखें। इस बात का ध्यान रखें कि महिलाओं के पेट का घेरा 80 सेंटीमीटर और पुरूषों का 90 सेंटीमीटर से ज़्यादा ना हो।
: भूखे पेट अपनी शगूर का स्तर 80 एमजी रखें। : अपना निम्नत्म रक्तचाप 80 से कम रखें।
: अपने दिल की धड़कन 80 प्रति मिनट पर रखें।
: एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 80 एमजी से कम रखें।
: एक बार में 80 ग्राम से ज़्यादा क्लोरिक ठोस या तरल आहार का सेवन ना करें।
: साल में 80 दिन कार्बोहाईड्रेट्स युक्त भोजन का उपवास रखें।
: सप्ताह में कम से कम फलों और सब्ज़ियों के 80 आहार लें।