नई दिल्ली
दिल्ली सरकार के अस्पतालों में हीमोफिलिया के मरीजों को बिना इलाज ही वापस लौटाया जा रहा है। जनवरी महीने से मरीजों को फैक्टर आठ नहीं मिल रहा है। जबकि मरीजों की परेशानी का हल हीमोफिलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया भी नहीं कर पा रहा है। फेडरेशन का कहना है कि फैक्टर से संबंधित जानकारी उन्हें भी नहीं पहुंचाई जा रही है। मालूम हो कि हीमोफिलिया एक तरह का रक्त विकार है, जिसमें खून में थक्का नहीं जम पाता है, इसलिए मरीजों को हल्की सी भी चोट लगने या फिर दवाब बढ्ने पर आंतरिक रक्त स्त्राव शुरू हो जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज को इलाज उपलब्ध नहीं होने पर मरीज की जान भी जा सकती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार निवासी ममजू चौधरी नाम के हीमोफिलिया से पीड़ित मरीज को इलाज के लिए दिल्ली लाया गया, जहां लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में मरीज को गॉल ब्लेडर में स्टोन की पहचान की गई, बताया गया कि स्टोन निकालने के लिए मरीज का ऑपरेशन करना पड़ेगा। जिसके बाद सर्जरी के लिए मरीज को जीबी पंत अस्पताल भेज दिया गया। लेकिन रक्त विकार या हीमोफिलिया का मरीज होने के कारण अस्पताल ने पहले फैक्टर आठ के इंजेक्शन की जरूरत बताई, जो कि जीबी पंत अस्पताल में उपलब्ध ही नहीं था। मरीज के पिता ने फैक्टर आठ के इंजेक्शन के लिए लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल भी गए, यहां भी फैक्टर आठ का इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था। फैक्टर के लिए मरीज के पिता ने हीमोफिलिया फेडरेशन ऑफ इंडिया से भी संपर्क किया, जहां से मरीज के परिजनों को किसी तरह की सहायता नहीं मिल पाई। ममजू चौधरी की तरह ही उत्तर प्रदेश से इलाज के लिए दिल्ली आए हीमोफिलिया के मरीज आर्यन यादव की इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई। 26 से 27 अगस्त को आर्यन को यूपी से दिल्ली लाया गया था, लोकनायक अस्पताल में फैक्टर आठ का इंजेक्शन नहीं मिलने के कारण मरीज को अंदरूनी रक्तस्त्राव हुआ और वह बिना इलाज के ही यूपी लौट गया, कुछ दिन बाद आर्यन की मौत हो गई। हीमोफिलिया के मरीज लंबे समय से दिल्ली सरकार से उनके इलाज के लिए सुचारू इलाज उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटाया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार के सभी प्रमुख अस्पतालों में जनवरी महीने से ही फैक्टर आठ का इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण मरीजों को बिना इलाज के लौटाया जा रहा है। इस बावत जीबी पंत अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ़ अनिल अग्रवाल से बात करने पर पता चला कि अस्पताल द्वारा फैक्टर को इंडेंड कराने का पत्र भेजा जा चुका है, अंतिम फैसला दिल्ली सरकार के स्वास्थय विभाग द्वारा किया जाएगा।