
- आईएआरडी एशिया पैसेफिक रिजनल कांफ्रेंस में दुनिया भर के दंत रोग विशेषज्ञ जुटे
- इंडियन सोसाइटी फॉर डेंटर रिसर्च आईएसडीआर का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया
नई दिल्ली
एल्कोहल के दुष्प्रभावों में अभी तक लिवर पर इसके असर को को अधिक गंभीर माना जाता था, लेकिन दिल्ली में जुटे एशिया के दंत रोग विशेषज्ञों ने बताया कि एल्कोहल का नियमित सेवन दांतों की चमक फीकी कर देता है, और इसके दुष्प्रभाव का असर शराब के पहले घूंट के साथ ही शुरू हो जाता है। एशिया फैसेफिक रिजनल कांफ्रेंस और इंडियन सोसाइटी फॉर डेंटल रिसर्च के तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में डेंटर डिसीस और आधुनिक इलाज संबंधी कई विषयों पर विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी।
डॉ वाईबी अश्विनी ने बताया कि एल्कोहल के दुष्प्रभावों में केवल लिवर को शामिल नहीं किया जाना चाहिए, इसका असर दांतों पर भी पड़ता है, जबतक लिवर और शरीर के बाकी अंगों पर एल्कोहल के सेवन के लक्ष्ण सामने आते हैं, तब तक शराब दांतों को काफी हद तक नुकसान पहुंचा चुकी होती है। डॉ अश्विनी ने कहा कि हमारे दांतों के ऊपर प्राकृतिक रूप से एक प्रोटेक्टिव लेयर या परत चढ़ी होती है, इस लाइनिंक को मूकोसा कहा जाता है, एल्कोलन इस परत या मूकोसा को तुरंत सूखा देती है, इस ड्राइनेस से लाइनिंग कमजोर होने लगती है, जिससे मुंह के भीतरी हिस्से या मसूढ़ों में बिल्सर्टस या पानी वाले छाले हो जाते है यह मुंह के इंफेक्शन या संक्रमण का पहला चरण होता है।
इसके बाद धीरे धीरे यह गम्स या मसूढ़ों को प्रभावित करती है। यह तो केवल शुरूआत होती है, एल्कोहल पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सलाइवा के फ्लो को भी प्रभावित करती है, जो कि मुंह को प्राकृतिक रूप् से साफ रखने का काम करती है। यदि मुंह में सलाइवा बनना बंद जाए तो कितने ही हानिकारक बैक्टीरिया सीधे पेट तक पहुंच सकते हैं, जो कैंसर सहित अमाश्य की कई बीमारियों की वजह बन सकते हैं। डॉ अश्विनी ने एल्कोहल के साथ तंबाकू के सेवन को दांतों के लिए अत्यधिक हानिकारक बताया, जो कई तरह के ओरल इंफेक्शन को दावत देता है हालांकि हमारे देश में एल्कोहल के साथ तंबाकू का सेवन सामान्य आदतों में गिना जाता है।
विशेषज्ञों ने ओरल डिसीस के शुरूआती लक्षणों जैसे ट्राइनेस, मुंह से दुर्गंध आना, छाले या फिर मसूढ़ों में सूजन आदि को शुरूआत में ही गंभीरता से लेने की बात कही। आईएडीआर एशिया पैसेफिक रिजनल कांफ्रेंस और इंडियन सोसाइटी फॉर डेंटल रिसर्च की 35वीं कांफ्रेंस के चेयरपर्सन डॉ महेश वर्मा ने कहा कि ओरल हाईजीन को लेकर पहली बाद देश में इतने बड़ी तीन दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें विश्वभर के दंतरोग विशेषज्ञ और डेंटल चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाली जानी मानी कंपनियों ने भाग लिया।
ऑटो लोगस बोन ग्राफ्टिंग से टूटे दांत भी आएगें काम
तीन दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में डेंटल या ओरल हेल्थ में आधुनिक इलाज की तकनीक को भी शोकेस किया गया। दिल्ली के शार्क हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने ऑटो लोगस बोन ग्राफि्टंग मशीन के बारे में बताया कि ऑटो लोगस बोन या डेंटल ग्राफि्टंग में टूटे दांतों को उसी मशीन के डेंटल समस्याओं को दूर किया जा सकता है। एक से डेढ़ लाख रूपए तक की कीमत वाली एक मशीन में टूटे दांत का मिश्रण तैयार होता है, इसे कई तरह के मिश्रण के साथ संरक्षित किया जाता है, दांतों के मसूढ़े या फिर रूट कैनल में किसी तरह की क्षति होने पर इस मिश्रण का इस्तेमाल किया जा सकता है, इससे मरीज के ही क्षतिग्रस्त या टूटे हुए दांतों को उसके खुद के दांतों को सही करने के लिए किया जा सकेगा, इसे दूसरी भाषा में डिजनरेटिव भी कहा जाता है, महत्वपूर्ण यह है कि ऑटो लोगस मिश्रण को उस मरीज के लिए ही इस्तेमाल किया जाएगा, जिसके दांतों से मिश्रण तैयार किया गया है। इस मिश्रण को लंबे समय तक संरक्षित करने के लिए कई तरह के संरक्षित तत्वों का प्रयोग किया जाता है।

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