विश्व निमोनिया दिवस पर विशेष
By महिमा तिवारी
बुखार होने के साथ यदि बच्चे की सांस की गति तेज चल रही हो तो इस लक्षण को नजरअंदाज न करें। यह फेफड़ों में होने वाला गम्भीर संक्रमण निमोनिया हो सकता है। चिकित्सकों का कहना है कि लापरवाही बरतने पर यह बीमारी बच्चों व बुजुर्गों के लिए जानलेवा हो सकती है। लोगों को जागरूक करने के लिए इसीलिए हर साल 12 नवम्बर को विश्व निमोनिया दिवस (World pneumonia Day) मनाया जाता है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान का कहना है कि यह फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है जो कि बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगस आदि के कारण होता है। इससे फेफड़ों की वायु कोष्ठिका में सूजन हो जाती है या उसमें तरल पदार्थ भर जाता है। कई बार निमोनिया गंभीर रूप धारण कर लेता है। निमोनिया के लक्षण सर्दी जुकाम के लक्षणों से बहुत हद तक मिलते हैं। इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है। वह कहते हैं कि सांस की गिनती से निमोनिया की पहचान की जा सकती है। दो माह तक के शिशु की सांस की गति प्रतिमिनट 60 से, एक साल तक के बच्चे की सांस की गति प्रतिमिनट 50 से ज्यादा और एक से पांच साल तक के शिशु की सांस की गति 40 से ज्यादा हो तो बिना किसी देरी के डॉक्टर को दिखायें। डॉक्टर कहते हैं, वैसे तो निमोनिया किसी को भी हो सकता है लेकिन दो साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में इसका खतरा और मौत के मामले अधिक रिपोर्ट किए जाते रहे हैं। इन लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहनी चाहिए। मालूम हो कि पांच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु निमोनिया के संक्रमण से होती है। प्रदेश में इस आयु के कम से कम 15 फीसद बच्चों की मौत निमोनिया से होती है।
डॉक्टरों ने बताये निमोनिया से बचाव के तरीके
विश्व निमोनिया दिवस (World pneumonia Day) पर डॉक्टरों ने लोगों को जागरूक करने के साथ इससे बचाव के तरीके बताये। केजीएमयू के रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभाग में हुए जागरूकता कार्यक्रम में डॉ सूर्यकांत ने बताया कि यह एक आम बीमारी है जिसका बचाव एवं इलाज संभव है लेकिन लापरवाही बरतने पर यह मौत का कारण भी बन सकती है। उन्होंने बताया कि देश में संक्रामक रोगों से होने वाली मृत्यु में से लगभग 20 फीसदी निमोनिया की वजह से होती है। इसके अलावा अस्पताल में होने वाले संक्रामक रोगों में यह बीमारी दूसरे पायदान पर है। उनका कहना है कि वैसे तो यह संक्रमण किसी को भी हो सकता है लेकिन कुछ बीमारियां एवं स्थितियां ऐसी है, जिसमें निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है, जैसे किडनी,लिवर, कैंसर व एड्स के मरीज जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए जरूरी है कि पांच बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
धूम्रपान या कोई भी नशा न करें।
यदि व्यक्ति को डायबिटीज या अन्य बीमारी है तो उन्हें नियंत्रित रखें।
सर्दी के मौसम में सर्दी से बचाव करें एवं भीड़-भाड़ में जाने पर मास्क का प्रयोग करें।
सर्दी के मौसम में मार्निंग वॉक करने से बचें।
– प्रतिदिन शाम को भाप लें एवं योग और प्राणायाम करें।
महत्वपूर्ण जानकारी है निमोनिया से बचाव के लिए