नई दिल्ली: हेपेटाइटिस-बी की ओरल वैक्सीन बनाने की दिशा में एम्स के डॉक्टरों को बड़ी सफलता मिली है। डॉक्टरों का दावा है कि पहली बार हेपेटाइटिस-बी की ओरल वैक्सीन के लिए बायोपॉलिमर इस्तेमाल कर नया प्लैटफॉर्म बनाने में सफल रहे हैं। ओरल वैक्सीन बनने के बाद मास लेवल पर होने वाले वैक्सिनेशन को और कामयाब बनाया जा सकेगा। इस ओरल वैक्सिनेशन से इंजेक्शन का साइड इफेक्ट नहीं होगा। नॉर्मल वैक्सिनेशन की तरह बूस्टर डोज की जरूरत नहीं होगी, बल्कि सिंगल डोज में यह पूरी तरह असरदार होगा। चूहों पर इस तकनीक को मिली कामयाबी के बारे में इंटरनैशनल जर्नल वैक्सीन ने स्टडी पब्लिश की है। अब गिनिपिग पर इसका ट्रायल होगा और फिर ह्यूमन ट्रायल किया जाएगा।
एम्स के डिपार्टमेंट ऑफ पैथोलॉजी के डॉक्टर अमित के. डिंडा ने कहा कि ओरल वैक्सीन के लिए एक नई टेक्नोलॉजी डिवेलप की गई है। इसमें बायोपॉलिमर यूज किया गया और नैनो टेक्नोलॉजी के जरिए इसका नैनो पार्टिकल्स तैयार किया गया, जिसका साइज बहुत ही छोटा 60 नैनो है। इसके बाद हेपेटाइटिस-बी वायरस के प्रोटीन के साथ इसे मिक्स किया गया। फिर चूहों पर इसका ट्रायल किया गया। डॉक्टर ने कहा कि चूहों पर इसका असर दो महीने तक देखा गया, जो ह्यूमन बॉडी पर आठ से दस साल तक रहेगा। यह वैक्सीन रूम टेंपरेचर पर रखा जा सकता है, जो रूरल एरिया के लिए काफी कारगर होगा। यह वैक्सीन नॉर्मल वैक्सीन से सस्ता भी होगा।