लखनऊ,
देर से शादी और बच्चे करना भले ही, कैरियर के लहजे से युवा वर्ग सही मान रहे हो लेकिन डाक्टरों का कहना है कि बच्चे की अच्छी सेहत केलिए यह ठीक नहीं। देर से माता-पिता बनने का निर्णय शिशु के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। बच्चे में शारीरिक व मानसिक विकार की दिक्कतें हो सकती है। अजंता अस्पताल और आईवीएफ केंद्र की निदेशक डा. गीता खन्ना कहना है कि लेट मैरिज होने की वजह से बांझपन व मिसकैरिज की समस्या भी आम होती जा रही है। टेस्ट ट्यूब बेबी मीट के दौरान डा. गीता ने बताया कि 45 साल की उम्र के दम्पत्ति भी आईवीएफ ट्रीटमेंट के लिए आ रहे है। अधिकतर कपल करियर सेट करने में शादी को इतना लेट कर देर कर रहे हैं कि बढ़ती उम्र के साथ अब युवाओं की फर्टिलिटी पर भी असर हो रहा है। यही वजह है कि आज ज्यादातर कपल को अपना फर्टिलिटी ट्रीटमेंट करवाना पड़ रहा है। उम्रदराज कपल में हेल्दी एग्स और स्पर्म न होने की वजह से बच्चों में क्रोमोसोमल डिफेक्ट ज्यादा देखे जा रहे हैं क्योंकि 30 से कम उम्र तक महिला और पुरुष के एग और स्पर्म हेल्दी होते हैं जिससे हेल्दी बच्चे को जन्म दिया जा सकता है लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है एग्स और स्पर्म की क्वॉलिटी प्रभावित होती चली जाती है। कार्यक्रम में अवरुद्ध ट्यूब, खराब शुक्राणु गुणवत्ता और बार-बार गर्भपात जैसी बांझपन की समस्याओं को दूर करने पर भी जोर दिया गया। डा. गीता ने दंपतियों से संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन सहित स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने धूम्रपान, शराब और पर्यावरण विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से बचने की सलाह दी। डा.गीता खन्ना ने बताया कि आशा का उत्सव तितली थीम वाले जन्मदिन समारोह में नवजात शिशुओं से लेकर 26 वर्षीय आईवीएफ शिशुओं को एक साथ लाया गया, जिनमें से कुछ अब खुद माता-पिता बन चुके हैं। इस मौके पर 1998 में अजंता अस्पताल में जन्मी पहली टेस्ट ट्यूब बेबी प्रार्थना ने मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं। इस मौके पर प्रार्थना ने बॉन्ड्स ऑफ लव थीम पर आधारित 2025 टेबल कैलेंडर का भी अनावरण किया।