स्टोरॉयड दवाएं कर देगी हड्डियां कमजोर

Steroid medicines will weaken bones, problem of osteoporosis increases in women, steroids are used in oral contraceptives, skin and muscle medicines
नई दिल्ली,

ओरल गर्भनिरोधक, मोटापा कम करने, बाल झड़ने या फिर दमकती त्वचा आदि कई परेशानियों से निजात के लिए अधिकांश महिलाएं स्टेरॉयड (Steroids) दवाओं का सेवन कर रही हैं। इंटरनेशनल ऑस्टियोपोरोसिस एसोसिएशन के अध्ययन की अगर मानें तो यही स्टेरॉयड दवाएं मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियां कमजोर कर रहे हैं, जिसके लक्षण 50 साल की उम्र के बाद सामने आते हैं।
इंडियन स्पाइन इंजरी सेंटर के प्रमुख डॉ. एचएस छाबड़ा कहते हैं कि स्टेरॉयड और हड्डियों के कैल्शियम पर अब तक किए गए अध्ययन में सामने आया है कि कार्टियोकास्टिेरॉयड थेरेपी का निरंतर छह महीने तक का इस्तेमाल महिलाओं में दस से 20 प्रतिशत हड्डियों के घनत्व को कम कर देता है। महिलाएं कॉस्मेटिक इस्तेमाल के अलावा किडनी, दिल या मांसपेशियों के संकुचन को दूर करने के लिए स्टेरॉयड हार्मोन का दवा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है तो निश्चित रूप से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है। स्टेरॉयड हार्मोन के बढ़ते इस्तेमाल और इसके खतरे को देखते हुए अमेरिकी कांउसिल ऑफ ड्रग्स एजूकेशन ने कॉस्मेटिक चीजों और एथेलेटिक बीमारियों में स्टेरॉयड के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। बीएलके अस्पताल के आर्थोपीडिशियन डॉ. हर्षवर्धन हेगड़े कहते हैं कि स्टेरॉयड महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं में और पुरूषों में टेस्टोस्ट्रोरन हार्मोन प्रजनन क्षमता हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जाना जाता है, ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में स्टेरॉयड हड्डियों के कैल्शियम में मिलकर इसका घनत्व कम करते हैं। जिसकी वजह से हड्डियों में बनने वाला अस्थिमज्जा कम हो जाता है, और हल्के के झटके के साथ हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है। फोर्टिस वसंतकुंज अस्पताल के रिहृयुमेटोलॉजिस्ट डॉ. अशोक कुमार कहते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस को साइलेंट डिसीस भी कहा जाता है, जिसकी वजह से होने वाले 83 प्रतिशत फ्रैक्चर से बच सकते हैं।

क्या हो सकते हैं बचाव
-किसी भी बीमारी के इलाज के लिए स्टेरॉयड थेरेपी शुरू करने से पहले मरीज की बोन डेंसिटी जांच करनी चाहिए, छह महीने के दवाओं के सेवन के बाद स्टेरॉयड के साथ इसके स्पाइनल और गर्दन की हड्डी पर असर देखना चाहिए।
-कोई भी महिला यदि कार्टियोकास्टिेरॉयड (कॉस्मेटिक स्टेरॉयड) इस्तेमाल कर रही है तो उसे 1500 मिलीग्राम कैल्शियम और 800 यूनिट विटामिन डी का नियमित सेवन करना जरूरी है।
-यदि स्टेरॉयड दवाओं का प्रयोग करना जरूरी ही तो इसके साथ एल्कोहल या सिगरेट के इस्तेमाल को बंद करें।
-मीनोपॉज के बाद महिलाएं स्टेरॉयड की जगह अन्य सुरक्षित हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ले सकती हैं, इसके साथ ही हर तीसरे महीने में बोन डेंसिटी की जांच अवश्य कराएं, जबकि 35 साल की उम्र के बाद ही कैल्शियम और विटामिन डी का प्रयोग बढ़ा दे।

प्रत्येक 22 सेकेंड में एक फ्रैक्चर
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार देश में 2013 तक 3 करोड़ छह लाख लोग ऑस्टियोपोरोसिस के शिकार होंगे। विश्वभर में हर 22 सेकेंड में एक व्यक्ति को फ्रैक्चर होता है। भारत में बिना इलाज व जांच के 5 में से प्रत्येक महिला को स्पाइनल फ्रैक्चर होता है।

क्या है इलाज
बैलून केफोप्लास्टी-इसे बीकेपी भी कहा जाता है, जिसमें मरीज को दर्द से निजात दिलाने के साथ ही क्षतिग्रस्त वैटिब्रा के बीच में बैलून स्थापित कर हड्डियों की खाली जगह को भरा जाता है। बीकेपी का उद्देश्य फै्रक्चर को स्थिर रखना और केफोटिक जोड़ की विकृति में सुधार करना होता है।
वर्टिब्रोप्लास्टी- स्पाइनल ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति में वर्टिब्रोप्लास्टी का इस्तेमाल किया जाता है, इसमें जोड़ों के बीच में बोन सीमेंट को इंजेक्शन के जरिए पहुंचाया जाता है। हालांकि उपयुक्त दोनों फ्रैक्चर के इलाज है, जबकि फ्रैक्चर रोकने के लिए बीमारी से बचाव ही प्रमुख है।

जरूरी है डेक्सा जांच
साधारण एक्सरे या फिर बोन डेंसिटी से ऑस्टियोपोरोसिस का पता नहीं लग पता है, इसलिए जरूरी है कि हड्डियां कमजोर होने की आशंका के बाद ही डेक्सा जांच कराई जाएं, इसे डेक्सा स्कैन भी कहा जाता है। समय पर बोनडेंसिटी कम होने का पता लगने पर फ्रैक्चर से बच सकते हैं।

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