नई दिल्ली
28 वर्षीय पूजा के दाहिनी हाथ की अंगूली वाशिंग मशीन से कट गई, चार साल के बच्चे को संभालते हुए उसका संतुलन इस तरह बिगड़ा की अंगूली मशीन के अंदर फंस गई। जख्मी हालत में पूजा को सफदरजंग अस्पताल में ले जाया गया, पूजा के हाथ की अंगूली पूरी तरह अलग नहीं हुई थी, लेकिन अंगूलियों में खून का प्रवाह करने वाली छोटी कैपिलरी नसें बुरी तरह छतिग्रस्त हो चुकी थी, इसके साथ ही अंगूली के बीज के जोड़ में फ्रैक्चर भी हो गया था।
दस अक्टूबर को सुबह दस बजे पूजा को कटी अंगूली के साथ सफदरजंग अस्पताल की में लाया गया। जहां से महिला बर्न एवं प्लास्टिक यूनिट में रेफर कर दिया गया, हालांकि अंगूली 12 घंटे पहले ही कट चुकी थी, उस समय महिला ने घटना को गंभीरता से नहीं लिया। इमरजेंसी में बर्न एवं प्लास्टिक विभाग के डॉ़ शलभ कुमार, डॉ़ राकेश डॉ़ उपेन्द्र शर्मा और डॉ ध्रुर्ती ने महिला की प्राथमिक जांच की। अंगूली को कटे हुए काफी समय बीत चुका था, इसलिए उसे दोबारा जोड़ना काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अधिक देरी किए बिना मरीज को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया, तीन घंटे तक चली सर्जरी के बाद चिकित्सकों ने महिला की अलग हुई अंगूली और छोटी कैपिलरी या सुक्ष्म रक्तवाहिनी नसों को जोड़ने में कामयाबी हासिल की, अंगूली की टूटी हुई हड्डी को वायर से जोड़ा गया, इसके साथ ही एक आर्टिरिज और ब्लड वेसल्स को भी पहले की तरह कर दिया गया, जिससे अंगूली का रंग गुलाबी होना शुरू हो गया, सर्जरी के तीन दिन बाद महिला को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया, इस दौरान उसकी अंगूलियों में खून का संचार दोबारा शुरू हो चुका था, और जख्म भी धीरे धीरे ठीक होने लगे थे।
अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ शलभ कुमार ने कहा कि अंगूलियों की नसें काफी सुक्ष्म थी, इसलिए रक्त संचार दोबारा सुचारू करने के लिए काफी सुक्ष्म सर्जरी की गई, इसके साथ ही इस चुनौती यह भी थी कि अंगूली कटे हुए 15 घंटे से अधिक का समय बीच चुका था। प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ राकेश केन ने बताया कि हम अमूमत सात से आठ घंटे पहले कटे अगों को सर्जरी कर जोड़ चुके हैं, लेकिन यह पहला ऐसा मामला था, जिसमें कि महिला की अंगूली कटे हुए 15 घंटे से अधिक का समय बीत चुका था, दूसरी अहम बात यह है कि कटे हुए अंग को आइस पैक में संरक्षित करना होता है, इसके साथ ही संक्रमण न हो, इसके लिए अंग को विसंक्रमित करने वाले घोल में रखा जाता है, लेकिन महिला के साथ यह दोनों की स्थिति संभव नहीं थी, उसकी अंगूली पूरी तरह नहीं कटी थी, कुछ सेल्स की वजह से वह लटकी हुई थी, इस स्थिति में चिकित्सकों के बाद दूसरी बड़ी समस्या थी कि अंगूली को बिना किसी संक्रमण के दोबारा जोड़ दिया जाए। विभाग की प्रमुख डॉ़ सुजाता सराबाही ने बताया कि इस तरह की सर्जरी को माइक्रोस्कोप की सहायता से ही अंजाम दिया जाता है। सफर सर्जरी करने पर अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक ने चिकित्सकों की टीम की सराहना की।
Commendable job by the Doctors of Safdarjung hospital.